किसान केले की खेती कर अच्छा लाभ कमा सकते हैं। केले को कच्चा और पक्का दोनों तरह से उपयोग में ला सकते हैं। एमपी की सबसे बड़ी कृषि विश्वविद्यालय के बॉयोटेक विभाग ने इजराइल के जी-9 वेरायटी को टिशू कल्चर से उगाया है। आदिवासी क्षेत्रों में यह काफी प्रचलित प्रजाति बन चुकी है। इसकी मिठास अन्य प्रजातियाें से अधिक है। केले की अच्छी खेती कैसे करें? आईए जानते हैं-भास्कर खेती-किसानी सीरीज-19 में एक्सपर्ट डॉक्टर शरद तिवारी (डायरेक्टर, जैव प्रौद्योगिकी, विभाग जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय) से…
टिशू कल्चर में मदर प्लांट जैसी खूबी
देश में केले की कई प्रजातियां हैं। इजराइली जी-9 की खास प्रजाति को टिशू कल्चर से विकसित किया है। इस तरह विकसित केले की प्रजाति में मदर प्लांट जैसी ही सारी खूबी है। टिशू केला कीट व रोग मुक्त होते हैं। इसमें एक समान बढ़त और पैदावार होती है। जबलपुर सहित आदिवासी जिलों में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है। पौधे छोटे आकार के होने के चलते केले की घारी लगने पर गिरने का संकट भी नहीं रहता है।
साल भर कर सकते हैं खेती
टिशू कल्चर से केले की खेती किसान साल भर कभी भी कर सकते हैं। एक बार रोपाई पर साल भर के अंदर ही फल मिलने लगता है। हर केले के साथ नई पौध भी उगते रहते हैं। फल के बाद पौधे को काटकर अलग कर देना चाहिए। दो से तीन अंकुरण वाली पौधों की उपज लेनी चाहिए।ड्रिप सिंचाई केले के लिए काफी फायदेमंद है।
केले में खाद की जरूरत
केले के प्रति पौधे में 300 ग्राम नाइट्रोजन, 100 ग्राम फास्फोरस और 300 ग्राम पोटाश की साल भर में जरूरत होती है। नाइट्रोजन को पांच, फास्फोरस को दो और पोटाश को तीन भागों में देना चाहिए। खाद को पौधे से 10-15 सेमी की दूरी पर चारों तरफ गुड़ाई करके मिट्टी में मिला देना चाहिए। इसके बाद तुरंत सिंचाई कर देनी चाहिए।
गर्मी में पांच-छह दिन पर करें सिंचाई
केले के पौधे लगाने के तुरंत बाद सिंचाई करनी चाहिए। बारिश में सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती है। वहीं ठंड के दिनों में 15 दिन के अंतराल पर पानी की जरूरत पड़ती है। गर्मी के दिनों में हर सप्ताह पानी देना चाहिए।
पौधों के नीचे पुआल या गन्ने की पत्ती बिछाएं
केले के खेत में खरपतवार से बचने का आसान और सस्ता तरीका है, पौधों के नीचे पुआल या गन्ने की पत्ती की मोटी परत अक्टूबर में बिछा देनी चाहिए। इसका फायदा ये भी मिलेगा कि खेत में नमी लंबे समय तक बनी रहेगी। खेत भी अधिक उपजाऊ बन जाएगा।
एक पौधे के पास एक पुत्ती ही छोड़ें
केले के पौधे से नई-नई पुत्ती निकलती रहती है। एक पुत्ती को छोड़कर शेष को समय-समय पर काट कर निकालते रहना चाहिए। इसी तरह फल लग जाने पर घार के अगले हिस्से में लटके फूल के गुच्छों को काट देना चाहिए। किसान एक हेक्टर से 60 से 70 टन उपज ले सकते हैं। किसान को 60 से 70 हजार रुपए की बचत होती है।
केले पर मिट्टी चढ़ाने का फायदा
बारिश से पहले केले के पौधों को दोनों तरफ से मिट्टी चढ़ाकर बांध देना चाहिए। इससे पेड़ के गिरने का खतरा कम हो जाता है। वहीं घार निकलने पर बांस या बल्ली की कैंची बनाकर सहारा देना चाहिए। केले में 12 महीने बाद फूल आते हैं। इसके लगभग 3 माह बाद केले की घार काटने लायक होती है।
भास्कर खेती-किसानी एक्सपर्ट सीरीज में अगली स्टोरी होगी किसान चिरौंजी के पौधे खेत के मेड़ पर लगाकर हर साल तीन लाख रुपए तक कर सकते हैं अतिरिक्त कमाई। आपका कोई सवाल हो तो इस नंबर 9406575355 वॉट्सऐप पर मैसेज करें।
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