• Hindi News
  • Local
  • Mp
  • Jabalpur
  • Yield Of 8 To 10 Quintals In One Acre, Urine Related Medicines Including Basil Seed Oil Falooda And Ice Cream Are Made.

अमेरिकन तुलसी की खेती करें, लाखों की कमाई:एक एकड़ में 8-10 क्विंटल तक पैदावार, लागत 50 हजार; बीज से फालूदा और आइसक्रीम समेत बनती हैं दवाएं

जबलपुरएक वर्ष पहले
  • कॉपी लिंक

अमेरिकन तुलसी (काली तुलसी) किसानों के लिए फायदे की खेती बन सकती है। इस फसल में न तो किसी तरह का रोग लगता है और न ही अधिक खाद-पानी की जरूरत पड़ती है। एक एकड़ में 8 से 10 क्विंटल काली तुलसी के बीज मिलते हैं। एक किलो बीज मार्केट में 80 से 150 रुपए किलो की दर से बिकते हैं। एक एकड़ में मुश्किल से 40 से 50 हजार रुपए खर्च आता है। नीमच में इसे बेच सकते हैं। इसके तेल से फालूदा और आइसक्रीम सहित यूरिन संबंधी दवाएं बनती हैं। काली तुलसी की खेती किसान कैसे करें? भास्कर खेती-किसानी सीरीज-56 में आइए जानते हैं एक्सपर्ट डॉ. ज्ञानेंद्र तिवारी (वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक, प्लांट फिजियोलॉजी विभाग JNKV) से

जून से खेती की तैयारी करें शुरू
जून में काली तुलसी की खेती की तैयारी शुरू करनी पड़ती है। जून में ही इसकी नर्सरी लगानी पड़ती है। इसके एक महीने बाद पौधे रोपने होते हैं। इससे पहले खेत की तैयारी करनी चाहिए। इसके लिए 5-6 टन प्रति एकड़ गोबर की सड़ी खाद डालकर खेत की जुताई करनी चाहिए। इसके बाद वेड बनाकर इसकी रोपाई करनी होती है। लाइन से लाइन की दूरी 50 सेमी और पौधों से पौधों की दूरी 25 सेमी रखनी होती है।

120 से 150 दिनों में तैयार होती है काली तुलसी।
120 से 150 दिनों में तैयार होती है काली तुलसी।

120 से 150 दिन में तैयार होती है फसल

काली तुलसी 120 से 150 दिन में तैयार हो जाती है। यदि पत्तियों का अर्क बनाना है तो 60 दिन में इसकी कटाई कर ली जाती है। फिर ये 150 दिन में तैयार होती है। एक एकड़ में 8 क्विंटल के लगभग काली तुलसी के बीज तैयार होते हैं। वहीं शेष हिस्से को भूसा बना लेते हैं। बिना कटिंग वाली तुलसी 120 दिन में तैयार हो जाती है। इसमें 10 क्विंटल तक बीज की पैदावार होती है। बीज जहां बाजार में 80 से 150 रुपए तक प्रति किलो की दर से बिकता है। वहीं तुलसी का भूसा 5 से 8 रुपए किलो की दर से अगरबत्ती और हवन सामग्री में बिक जाता है।

लागत कम मुनाफा अधिक
काली तुलसी की खेती में लागत कम और मुनाफा अधिक होता है। प्रति एकड़ 80 किलो नाइट्रोजन, डीएपी 25 किलो शुरू में देना पड़ता है। जबकि गोबर की सड़ी खाद 10 टन लगती है। फसल के शुरूआती समय में खरपतवार का नियंत्रण करना पड़ता है। तुलसी बड़ी होनी पर खरपतवार की समस्या भी समाप्त हो जाती है।

काली तुलसी के बचे हुए हिस्से का भूसा बना दिया जाता है।
काली तुलसी के बचे हुए हिस्से का भूसा बना दिया जाता है।

सौंफ जैसी होती है काली तुलसी के तेल की महक

काली तुलसी के तेल की महक सौंफ की तरह होती है। काली तुलसी की पत्तियां भी हरी होती हैं, लेकिन इसके बीज काले और तिकोने आकार के होते हैं। वहीं राम और श्याम तुलसी होती है। राम तुलसी का उपयोग पूजा में होता है। उसकी पत्तियां भी हरी होती है, लेकिन बीज भूरे कलर का होता है। राम तुलसी की पत्ती, बीज और तना तक बिकता है। उसका उपयोग कफ सिरप में होता है।

खबरें और भी हैं...