जबलपुर के नानाजी देशमुख विज्ञान वेटरनरी कॉलेज में मुर्गे-मुर्गी की 'टर्की' प्रजाति पर काम चल रहा है। यह प्रजाति प्रदेश में पहली बार वेटरनरी कॉलेज मथुरा से लाई गई है। यह प्रजाति अमेरिका में पाई जाती है। अमेरिका में इसे 'थैंक्यू गिविंग बर्ड' के नाम से जाना जाता है। इस प्रजाति के मुर्गे का वजन 8 किलो, तो मुर्गी का वजन 5 किलो तक होता है। 80 ग्राम हल्का भूरा इसका अंडा होता है। सब कुछ ठीक रहा, तो प्रदेश के मुर्गी पालकों को अगले साल तक ये उपलब्ध हाे जाएगा।
वेटरनरी कॉलेज के प्रोफेसर गिरिराज गोयल ने बताया किसान या मुर्गी पालक इसका पालन कर अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। करीब एक साल प्रदेश के मौसम सहित अन्य परीक्षण के बाद इसे आदिवासी क्षेत्रों सहित आम पालकों को उपलब्ध कराया जाएगा। इस प्रजाति के पालन में कम जगह की जरूरत होती है। एक टर्की के पालन के लिए करीब 5 वर्गफीट चाहिए। खेत या घर में खुले स्थानों पर भी इसका पालन किया जा सकता है। पालन
28 सप्ताह में पूरे वजन के हो जाते हैं मुर्गे-मुर्गी
वेटरनरी में पाली गई इस प्रजाति की मुर्गी करीब 100-150 अंडे देती है। मुर्गी का वजन 5 किलो। मुर्गे का वजन 8 किलो तक होता हैं। ये सामान्य मुर्गे-मुर्गी से दो से तीन गुना अधिक है। अंडे का वजन करीब 80 ग्राम का होता है। मुर्गी 28 सप्ताह बाद अंडे देने लगती है। एक टर्की के पालन पर करीब 500 रुपए की लागत आती है। 28 सप्ताह में मादा टर्की 20 किलो दाना खा लेती है। तैयार होने पर मांस के तौर पर एक मादा टर्की 1000 से 1200 रुपए में बिकती है। क्रिसमस में इसकी कीमत 2500 रुपए तक मिल जाती है।
100 टर्की प्रजाति का मुर्गे पालकर 12 हजार रुपए कर सकते हैं कमाई
यदि खेती-किसानी करने साथ में 100 टर्की का पालन करें, तो उसे 12 हजार रुपए तक महीने की बचत हो सकती है। टर्की प्रजाति के मुर्गे-मुर्गी का औसत जीवनकाल 10 वर्ष होता है। हालांकि मांस के लिए हेचरी में पाली जाने वाली टर्की मुर्गा-मुर्गी 5 से 7 महीने ही जीवित रह पाते हैं। टर्की मुर्गा-मुर्गी का मांस पतला होने की वजह से इसे काफी पसंद किया जाता है। 100 ग्राम मांस में प्रोटीन 24%, वसा 6.6% और ऊर्जा 162 कैलोरी प्राप्त होती है। इसके मांस में पोटेशियम, कैल्सियम, मैग्नेशियम, लौह पदार्थ, सेलेनियम, जिंक और सोडियम जैसे खनिज भी पाए जाते हैं।
रिपोर्ट- आकाश निषाद
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