जंगलों में कई तरह के हरे-भरे पौधे देखे होंगे। आखिर उन्हें जरूरी खाद की आपूर्ति कौन करता है? बस इसी सवाल ने जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक को बैक्टीरिया से खेती की राह सुझा दी। बिना खाद डाले और सूखे में भी इन बैक्टीरिया को फसल की जड़ों में डालकर भरपूर फसल ले सकते हैं। भास्कर खेती-किसानी सीरीज-22 में आइए जानते हैं एक्सपर्ट डॉ. स्वप्निल सप्रे (डीआईसी प्रोग्राम इंचार्ज, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, जेएनकेवी) से…
जंगली पौधों की हरियाली देखकर हुई जिज्ञासा
जलवायु परिवर्तन और ऑर्गेनिक फार्मिंग को देखते हुए हम ऐसी बैक्टीरिया की तलाश में थे, जो पौधों के लिए जरूरी खाद खुद बना दें। अक्सर देखा होगा कि ऐसी जगह भी पौधे बिना किसी खाद-पानी के उग रहे थे और अच्छा विकास कर रहे थे। इसे देखते हुए हमने तीन अलग-अलग स्थानों से तीन पौधे लिए। उनकी जड़ों से बैक्टीरिया को निकाला। उनकी पहचान की। पौधों के विकास करने वाले गुणों की पहचान की। इसके बाद इन बैक्टीरिया को विकसित किया।
चना-गेहूं सहित कई फसलों का ट्रायल सफल
लैब में विकसित इन बैक्टीरिया को बहुत सारी फसलों जैसे, चना, मूंग, उड़द, राइसबीन, मटर व गेहूं में टेस्ट किया। परिणाम पाया कि पौधों के विकास के साथ-साथ उनके उत्पादन में भी वृद्धि हुई है। ये बैक्टीरिया आर्गेनिक फार्मिंग और जलवाायु परिवर्तन दोनों में उपयोगी साबित हो सकती हैं। जलवायु परिवर्तन में लवण्यता और सूखे की समस्या सामान्य हो गई है। देखा जा रहा है कि ये बैक्टीरिया सूखे में भी फसलों के साथ देने पर उत्पादन में कमी नहीं आने दे रहे।
अब तक 30 बैक्टीरिया की पहचान
अब तक हमने करीब 30 बैक्टीरिया की पहचान की है। तीन अलग-अलग पौधों को विभिन्न लोकेशन से लेकर उनकी जड़ों को पीस कर बैक्टीरिया को निकाला था। पौधों पर किस बैक्टीरिया का क्या प्रभाव पड़ रहा है। उन गुणों की पहचान की और बैक्टीरिया को भी श्रेणीबद्ध करने में सफल रहे हैं। हर फसल के लिए अलग-अलग खाद की जरूरत होती है। ऐसे में हम तीन से चार बैक्टीरिया को बीज के साथ ही बुआई के समय देते हैं। ये पौधों की जरूरत के अनुसार स्वत: ही खाद की पूर्ति कर देते हैं।
सहजीवी जीवन पर आधारित है पूरी थ्यौरी
बैक्टीरिया सहजीवी जीवन जीते हैं। पौधों पर उनका भी जीवन निर्वहन करता है। ऐसे में पौधों के विकास व ग्रोथ के लिए जरूरी न्यूट्रेशन ये बैक्टीरिया स्वयं प्रदान करते हैं। अभी हम फसल के आधार पर बैक्टीरिया का वर्गीकरण करने में जुटे हैं। अभी तक हमें ऐसा कोई बैक्टीरिया नहीं मिला, जो फसल के विकास या उत्पादन को रोकता हो।
आगे की ये राह होगी आसान
बैक्टीरिया की मदद से प्राकृतिक खेती आसान होगी। जल्द ही हम जेएनकेवी के जैव उर्वरक उत्पादन ईकाई के माध्यम से इसका व्यवसायिक उत्पादन करने जा रहे हैं। उनके साथ हम उत्पादन की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहे हैं। इसके बाद ये आम किसानों के लिए भी सर्वसुलभ रहेगा। इसकी मदद से हम बिना कोई खाद डाले और सूखे व लवण्यता की स्थिति में भी भरपूर फसल ले सकेंगे।
भास्कर खेती-किसानी एक्सपर्ट सीरीज में अगली स्टोरी होगी वर्मी कम्पोस्ट से कैसे युवक कर सकते हैं कमाई। आपका कोई सवाल हो तो इस नंबर 9406575355 वॉट्सऐप पर मैसेज करें।
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