जबलपुर सहित महाकौशल में शिमला मिर्च की बड़े पैमाने पर खेती हो रही है। शिमला मिर्च भी एक नकदी फसल है और किसानों को आठ महीने में मालामाल करने की क्षमता रखती है। शिमला मिर्च की खेती कर रहे प्रगतिशील किसान एवं पुलिस विभाग से DSP से रिटायर आरएस कालरा ने ढाई एकड़ में फसल लगा रखी है। इस फसल में गलन और कीट-पतंगों का अधिक असर पड़ता है। इससे जहां उत्पादन प्रभावित होता है, वहीं पूरी फसल नष्ट होने का खतरा रहता है। भास्कर खेती-किसान सीरीज-10 में आईए जानते हैं कि किसान शिमला मिर्च की फसल को गलन और कीट-पतंगों से कैसे बचाएं…
उत्तम किस्म का बीज लगाएं
किसान भाई को बीज उत्तम किस्म का लेना चाहिए। बीज उपचार के बाद ही नर्सरी तैयार करें। जून-जुलाई में इसकी नर्सरी तैयार होती है, लेकिन ओपन खेत की तुलना में पॉली हाउस में तैयार किया गया नर्सरी लगाए। यहां कोकोपीट में नर्सरी लगाते हैं। इससे इसमें मिट्टी जनित रोग नहीं आते हैं। हर पौधे को 45 सेमी की दूरी पर लगाएं।
पौधे की रोपाई से लेकर फल लगने तक देनी पड़ती है खाद
शिमला मिर्च में हर स्टेप पर अलग-अलग खाद लगती है। छोटा होने पर ग्रोथ संबंधी खाद डालने पड़ते हैं। खेत की तैयारी के समय ही 25-30 टन गोबर की सड़ी हुई खाद और कंपोस्ट खाद को डाल देना चाहिए। रोपाई के समय 60 किग्रा नाइट्रोजन, 80 किलो सल्फर और 60 किलो पोटाश डालनी चाहिए। नाइट्रोजन की मात्रा तीन बार में बुआई, 30 दिन पर और 55 दिन पर करनी चाहिए। कोशिश करें कि ड्रिप सिस्टम से पानी और खाद दें।
रोग की पहचान बेहद जरूरी
शिमला मिर्च में रोग की पहचान समय पर करना बेहद जरूरी है। वरना किसानी की सारी पूंजी बेकार चली जाती है। मौजूदा समय में शिमला मिर्च में गलन वाला रोग लग रहा है। इसमें पौधे और फल दोनों गल जातो हैं। समय पर नियंत्रण नहीं हुआ तो 20 दिन में पूरी फसल नष्ट हो जाएगी। इसमें फंगल इंफेक्शन आ रहे हैं। इस तरह के लक्षण देखते ही किसान तुरंत दवा का स्प्रे करें। कोशिश हो कि किसी एक्सपर्ट को खेत में बुलाकर या फिर फसल की फोटो खींच कर भी उचित सलाह लें।
फूल आने पर तीन तरह के रोग आते हैं
शिमला मिर्च में फूलों पर वाइट फ्लाई लगते हैं, जो फूल को टच कर देते हैं तो फल टेढ़ा-मेढ़ा या चपटा हो जाता है। फल को सही लुक नहीं मिलता। इसके अलावा माइट व इल्ली लगते हैं। ये तना व पत्तियों का रस चूस लेते हैं। इससे पौधा सूखने लगता है। मिर्च में तीनों तरह के कीट का अटैक सबसे अधिक होता है। इसका भी समय पर उपचार जरूरी है। शिमला मिर्च में फूल आते ही प्लानोनिक्स नामक दवा को पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। बाद में 25 दिन बाद दूसरा छिड़काव कर दें।
कब-कब करें सिंचाई
शिमला मिर्च में न तो अधिक और न ही कम सिंचाई की जरूरत होती है। पौधे रोपते समय हल्की सिंचाई कर दें। खेत में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए। पानी लगने पर फसल गल जाता है। ड्रिप सिस्टम में एक लीटर का ड्रिप हर पौधे के पास लगाना पड़ता है। नाली बनाकर ढलान तैयार करते हैं।
70 दिन में होने लगती है तुड़ाई
शिमला मिर्च की तुड़ाई पौधे रोपने के 70 दिन बाद होने लगती है। 15 अगस्त के लगभग शिमला मिर्च लगाने वाले कालरा के खेत में 28 सितंबर से फल आने लगा। पौधे को रस्सी व बांस की मदद से सहारा देते हुए बांधा गया है, जिससे पौधा गिरे न। एक पौधे की औसत ऊचाई 3.50 फीट होती है। मार्च तक इसका उत्पादन होगा। ढाई एकड़ खेत से हर पांच दिन में दो से ढाई टन शिमला मिर्च का उत्पादन होता है। औसत कीमत 20 से 25 रुपए मिलती है। ढाई एकड़ खेत से किसान दो लाख रुपए तक बचत कर लेते हैं।
हैदराबाद तक जाते हैं जबलपुर से शिमला मिर्च
जबलपुर से शिमला मिर्च की सप्लाई हैदराबाद से लेकर पुणे तक होती है। वहां इसका रेट अच्छा मिल जाता है। स्थानीय मजदूरों को भी रोजगार का एक साधन मिला हुआ है। प्रगतिशील किसान कालरा के ढाई एकड़ शिमला मिर्च की देखभाल के लिए 10 मजदूर पूरे दिन काम करते रहते हैं।
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