प्रदेश में डेंगू से मौत के मामले में कोविड की तर्ज पर मुआवजा दिए जाने की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की गई है। हाईकोर्ट ने मामले में 27 अक्टूबर को अन्य याचिकाओं के साथ इस मामले की सुनवाई होगी।
नागरिक उपभोक्ता मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे और सामाजिक कार्यकर्ता रजत भार्गव ने जनहित याचिका दायर करते हुए बताया है कि कोविड की तरह ही डेंगू ने भी आम लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। कई परिवारों के मुखिया और दूसरे सदस्यों की डेंगू की वजह से मौत हो चुकी है। ऐसे में सरकार को अपनी जिम्मेदारी पूरी करनी चाहिए। इस जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डबल बेंच ने सुनवाई करते हुए 27 अक्टूबर को अन्य याचिकाओं के साथ संयुक्त रूप से करने की व्यवस्था दी है।
जबलपुर सहित पूरे प्रदेश में फैला है डेंगू
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रभात यादव ने तर्क रखते हुए कहा कि डेंगू से होने वाली मौत के लिए कोविड की तरह मुआवजा दिया जाना चाहिए। डेंगू की बीमारी साफ-सफाई में लापरवाही की वजह से फैलती है। इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई और क्षतिपूर्ति वसूलने की मांग की गई है। जबलपुर सहित ग्वालियर और दूसरे शहरों में डेंगू फैला हुआ है। 700 से अधिक केस तो जबलपुर में आ चुके हैं।
एनजीटी में शहर से 450 डेयरिया हटाने की मांग
उधर, नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डाॅ. पीजी नाजपांडे व रजत भार्गव ने एनजीटी में एक्जेक्यूशन आवेदन पेश कर जबलपुर शहर में संचालित 450 डेयरियों को बाहर शिफ्ट करने की मांग की है। शहर में पचपेढ़ी जैसे पॉश कॉलोनी में संचालित डेयरी के चलते डेंगू फैलने का दावा किया गया है।
NGT पूर्व में डेयरियों को शहर से बाहर करने का आदेश दे चुका है। इस आवेदन पर एनजीटी के जस्टिस शिव कुमार सिंह और एक्सपर्ट मेंबर अरुण कुमार वर्मा ने मप्र के मुख्य सचिव, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, कलेक्टर व नगर निगम आयुक्त जबलपुर को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह में जवाब मांगा है।
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