जबलपुर में अनाथ बालिकाओं के धर्मांतरण का मामला सामने आया है। करुणा नवजीवन रिहैबिलिटेशन सेंटर में बच्चों को जबरन ईसाई धर्म की प्रार्थनाएं कराई जा रही थीं। उनसे बाइबिल भी पढ़वाई जा रही थी। गोपनीय शिकायत के बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम ने 18 नवंबर को यहां का निरीक्षण किया। आयोग की रिपोर्ट आने के बाद 14 दिसंबर को बरेला थाने में संस्था के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। मामला जिला कार्यक्रम अधिकारी एवं जिला बाल संरक्षण अधिकारी ने दर्ज कराया है।
सभी बच्चों को एक साथ रखा
पुलिस के अनुसार राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य दविन्द्र मोरे की अगुवाई में टीम ने करुणा नवजीवन रिहैबिलिटेशन सेंटर की जांच की थी। इस दौरान 7-11 वर्ष और 12-18 वर्ष की लड़कियों को यहां रखा जाना पाया गया। इन दोनों आयु वर्ग के बच्चों को अलग-अलग रखा जाना चाहिए, लेकिन यहां 18 वर्ष से कम उम्र की बालिकाओं और अन्य सेंटर में रहने वाले एक ही प्रांगण में रह रहे थे। यह सेंटर किशोर न्याय अधिनियम के तहत रजिस्टर्ड भी नहीं है। बता दें, अब बालिकाओं को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया है।
सेंटर में ईसाई धर्म के बारे में पढ़ाया जाता था
आयोग की रिपोर्ट में कई गंभीर बातें सामने आई हैं। यहां बालिकाओं को उनके मूल धर्म की जानकारी न देकर सिर्फ ईसाई धर्म के संबंध में पढ़ाया जा रहा था। सामाजिक जांच रिपोर्ट और बच्चों की काउंसिलिंग में भी इसकी पुष्टि हुई है। पुलिस ने संस्था के संचालकों पर किशोर न्याय अधिनियम 2015, धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश 2020 और किशोर न्याय अधिनियम 2016 के तहत प्रकरण दर्ज कर मामले को जांच में लिया है।
आधार कार्ड में सरनेम और धर्म बदल दिया
सामाजिक और परामर्श रिपोर्ट के मुताबिक सेंटर में रह रही बालिकाओं को उनके धर्म के बारे में पूरी जानकारी है। संस्था ने बालिकाओं के स्कूल और आधार कार्ड में सरनेम सालोमन करा दिया। उन्हें उनके धर्म के बजाय ईसाई धर्म के बारे में जानकारी दी जा रही थी। बाइबिल पढ़ने के लिए मजबूर किया जा रहा था।
आयोग की रिपोर्ट और आदेश के आधार पर कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने एसपी को मामले में कार्रवाई के लिए कहा था। इसके बाद एफआईआर दर्ज की गई। इस सेंटर में अनाथ और गरीब बच्चों को रखकर पढ़ाया जाता है। सेंटर में मौजूद बच्चों को वहां से हटाकर दूसरे संस्था की देखरेख में रखने का निर्देश आयोग ने दिया था। इस पर भी अमल किया जा रहा है।
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