जबलपुर में इंजीनियरिंग के छात्र ने एक ड्रोन बनाया है। इसे फ्लाइंग चक्र नाम दिया है। उन्होंने इसे 6 साल की मेहनत के बाद तैयार किया है। ड्रोन की क्षमता 30 लीटर है। ड्रोन का वजन 20 किलो है। इस तरह 50 किलो वजन के साथ ये ड्रोन 6 मिनट में एक एकड़ खेत में खाद व कीटनाशक का छिड़काव कर सकता है। स्टूडेंट का दावा है कि देश में बना यह सबसे बड़ा ड्रोन है। किसानों को अब किराए पर ड्रोन उपलब्ध कराने की दिशा में काम शुरू किया है। दैनिक भास्कर खेती-किसानी सीरीज-20 में ड्रोन की खेती में उपयोगिता पर आइए जानते हैं आविष्कारक अभिनव सिंह और उनके बिजनेस पार्टनर अनुराग चांदना से…
2015 से कर रहा था काम
'मेरी पढ़ाई इंजीनियरिंग इलेक्ट्रॉनिक से हुई। पाटन तहसील में हम गांव के रहने वाले हैं। फैमिली खेती ही करती है। मैं अकसर उन्हें देखा करता था कि वे पीठ पर टंकी लटकाकर कीटनाशक स्प्रे करते थे। कई बार धान के पानी से भरे खेत में स्प्रे कमर की गहराई तक जाकर स्प्रे करते थे। वे पेस्टीसाइड के ऊपर से निकलने को मजबूर रहते हैं। तब मैं छोटे ड्रोन बनाता था। किसानों की मदद के लिए ड्रोन किस तरह से उपयोगी हो सकता है, इस पर सोचना शुरू किया। घरवालों ने बताया कि कम से कम 30 लीटर क्षमता का ड्रोन होना चाहिए। 2015 से इस पर काम कर रहा था।'
ड्रोन की मदद से गेहूं की बुआई भी कर सकते हैं
छोटे और बड़े किसानों की क्षमता को देखते हुए पांच से 30 लीटर क्षमता के अलग-अलग ड्रोन बनाए हैं। इनकी कीमत पांच से नौ लाख रुपए है। अभिनव का दावा है कि सरकार इस पर सब्सिडी प्लान करने जा रही है। इस ड्रोन की मदद से गेहूं की बुआई भी कर सकते हैं। 2020 में बीएचयू के साथ मिलकर ड्रोन से गेहूं की बुआई की थी। इसमें गूगल मैप में जाकर एरिया मार्क करना पड़ता है। गेहूं की लाइन से लाइन की दूरी और बीज की मात्रा ऑटोमैटिक प्लान कर सकते हैं। इसके बाद पूरा काम ड्रोन खुद करेगा।
50 हजार की पड़ती है बैटरी
इस ड्रोन के बैटरी को चार्ज करना पड़ता है। इसकी कीमत 50 हजार रुपए है। इसे 500 बार चार्ज कर सकते हैं। एक बार चार्ज करने पर आधे घंटे तक उपयोग में लाया जा सकता है। बैटरी की क्षमता 50 वोल्ट व 22 हजार एमएएच की है। बैटरी रिमूवल है। एक बैटरी निकाल कर दूसरी लगा सकते हैं। अनुराग की आर्थिक मदद से अब ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने की तैयारी है।
फसल की पैदावार 25 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी
अभिनव कहते हैं, फ्लाइंग चक्र सच में एक क्रांति है। किसान नौ बार फसल के बीच घातक रसायनों के साथ जाता है। इससे उस पर कैंसर की चपेट में आने का खतरा रहता है। ड्रोन की मदद से वह खुद की जान सुरक्षित रखने के साथ ही ऑटोमैटिक तरीके से खेत में खाद व कीटनाशक का छिड़काव कर सकता है। इससे कीटनाशक व खाद की मात्रा भी कम लगती है। पैदावार 25 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। वहीं पानी की 90 प्रतिशत तक बचत होती है।
सर्विस मॉडल विकसित करने पर जोर
ड्रोन की कीमत पांच से नौ लाख के बीच है। सामान्य किसान इतना खर्च नहीं कर सकता है। अभिनव सिंह ने कहा कि हम एक सर्विस मॉडल विकसित कर रहे हैं। अगले एक साल में प्रदेश के सभी 272 तहसीलों में हम सर्विस पार्टनर तैयार करेंगे। यह उसी तहसील का व्यक्ति होगा। उसे हम ड्रोन उपलब्ध कराएंगे। उसे चलाना सिखाएंगे। सॉफ्टवेयर देंगे। वह क्षेत्र में सर्विस के तौर पर ड्रोन सेवा मुहैया कराएगा। एक किसान को प्रति एकड़ पेस्टीसाइड और खाद डालने में लगने वाले खर्च के बराबर 199 रुपए में इसे उपलब्ध कराएंगे। चयनित युवकों को एग्रीकल्चर ड्रोन पायलट का लाइसेंस भी दिलाएंगे।
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