रामतिल की खेती किसान सबसे बेकार खेत में भी कर सकते हैं। इसके साथ मधुमक्खी पालन करें तो दोहरा लाभ मिलेगा। देश में कभी 77 लाख हेक्टेयर में होने वाली खेती, सिमट कर 10 प्रतिशत रह गई है। सरकार ने रामतिल पर 6930 रुपए प्रति क्विंटल एमएसपी तय किया है। इसे घी का विकल्प कहते हैं। इसकी फसल 30 दिन पानी में डूबे रहने पर भी खराब नहीं होती। भास्कर खेती किसानी सीरीज-17 में एक्सपर्ट डॉ. रजनी बिसेन (प्रिंसिपल साइंटिस्ट अखिल भारती समन्वित अनुसंधान परियोजना तिल एवं रामतिल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) से…
समतल भूमि में भी हो सकती है खेती
पहाड़ी और आदिवासी क्षेत्रों में बोई जाने वाली रामतिल की बुआई होशंगाबाद के किसान ने 100 एकड़ समतल भूमि में की थी। उसे 9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज मिला था। सरकार हर साल रामतिल का 105 करोड़ रुपए एक्सपोर्ट करती है। नीमच और नागपुर इसके लोकल मंडी हैं। यूएसए और इथीपिया जैसे विदेशों में इसकी मांग बर्ड फीट के रूप में है।
जेएनकेवी ने तीन किस्में विकसित की है
जवाहर लाल नेहरू कृषि विवि ने रामतिल की तीन किस्में विकसित हैं। नेशनल जेएनएस-2016-1115 का बीज छिंदवाड़ा में मिलेगा। एमपी के अलावा ओडिशा, महाराष्ट्र, गुजरात में इसकी खेती की जाती है। 7 से 8 क्विंटल की पैदावार होती है। इसमें बीमारी नहीं लगती है। अगस्त के पहले पखवारे में बुआई करते हैं। दो स्टेट किस्में जेएनएस 215-9 और जेएनएस-521 हैं। दोनों किस्में 110 दिन में तैयार हो जाती हैं। इसमें 38 प्रतिशत तक आयल होता है। ये फसल तेज बारिश में भी नहीं गिरता।
मधुमक्खी पालन से दोहरी कमाई
रामतिल के पीले फूल मधुमक्खियों को आकर्षित करते हैं। किसान प्रति एकड़ खेत में 8 से 10 डिब्बे रखकर ढाई से तीन हजार रुपए का शहद प्राप्त कर सकता है। दूसरा फायदा अधिक उपज के रूप में होता है। इस फसल में सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती है। पर बारिश का गैप लंबा हो, तो दो हल्की सिंचाई की अनुशंसा की गई है।
रामतिल में खाद की जरूरत
किसान रामतिल की बुआई चार से पांच किलो प्रति हेक्टेयर की दर से करें। 5 ग्राम थायरम प्रति किलो लेकर बीज को उपचारित कर लें। रामतिल में 25 किलो प्रति हेक्टेयर सल्फर, 40 किलो नाइट्रोजन, 30 किलो फास्फोरस, 20 किलो पोटाश की जरूरत पड़ती है। फास्फोरस को सिंगल सुपर फास्फेट के रूप में देना चाहिए। खेत की तैयारी के समय 10 टन गोबर सड़ी खाद डालें। इसमें एक किलो ट्राइकोडर्मा मिलाकर 10 दिन छांव में रखने के बाद खेत में डालें। नाइट्रोजन की आधी मात्रा 35 दिन बुआई के बाद डालें।
भास्कर खेती-किसानी एक्सपर्ट सीरिज में अगली स्टोरी होगी मूंग की खेती के बारे में। एमपी में देश का 50 प्रतिशत उत्पादन होता है। अच्छी खेती के लिए किसान क्या करें, कैसे खेत की तैयारी करें। आपका कोई सवाल हो तो इस नंबर 9406575355 वॉट्सऐप पर सकते हैं।
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