मप्र पावर ट्रांसमिशन कंपनी के साथ अब एमपी में निजी क्षेत्र की अडाणी पावर ट्रांसमिशन कंपनी भी उतर आई है। निजी ट्रांसमिशन कंपनी के आने से आम उपभोक्ताओं पर 250 करोड़ रुपए का भार सालाना बढ़ेगा। दैनिक भास्कर के पोल में आम लोगों ने माना कि निजी कंपनियां अपना मुनाफा बढाएंगी ही। 35 सालों का अनुबंध किया गया है। ऐसे में ये भार हर साल बढ़ता जाएगा।
दैनिक भास्कर ने पोल में लोगों से सवाल पूछा था कि निजी क्षेत्र की कंपनी को ट्रांसमिशन का ठेका देने से बिजली बिल पर किस तरह का प्रभाव पड़ेगा। अभी प्रदेश के 1.59 करोड़ उपभोक्ताओं पर औसत भार 13 रुपए का हर महीने पड़ेगा। पोल में 50% लोगों ने माना कि ये तो अभी शुरूआत है। निजी कंपनियां अपना मुनाफा बढ़ाने के लिए ही किसी बिजनेस में उतरती हैं। आम लोगों पर ये भार और बढ़ेगा।
22% लोगों ने माना कि महंगी बिजली के लिए तैयार हो जाएं
इस पोल में 22% लाेगों ने माना कि महंगी बिजली के लिए तैयार हो जाएं। यह सरकार और कंपनियों का खेल है। दरअसल प्रदेश में जरूरत न होने के बावजूद ट्रांसमिशन लाइन की क्षमता को 40 हजार मेगावाट बढ़ाया जा रहा है। जबकि प्रदेश में बिजली का कुल उत्पादन ही 22 हजार मेगावाट है। इस अतिरिक्त ट्रांसमिशन लाइन के एवज में हर साल प्रदेश के उपभोक्ताओं से 6200 करोड़ रुपए देने पड़ेंगे। अभी 6000 करोड़ रुपए देने पड़ रहे हैं।
दैनिक भास्कर ने पोल में पूछा था कि आपको क्या लगता है, बिजली का बिल केवल 13 रुपए महीने ही बढ़ेगा?
ये है पूरा मामला
एमपी में अडाणी की पावर ट्रांसमिशन कंपनी को 1200 करोड़ रुपए में 18 सब स्टेशन और 850 किमी की ट्रांसमिशन लाइन बिछाने का ठेका 35 सालों के लिए दिया है। 4 सब स्टेशन की क्षमता जहां 220 केवीए की होगी। वहीं अन्य सब स्टेशन 132 केवीए के बनेंगे। इनकी कुल क्षमता 900 एमवीए की होगी। मतलब 900 मेगावाट बिजली के ट्रांसमिशन की क्षमता रहेगी। अभी एमपी में पावर ट्रांसमिशन की क्षमता 31743 एमवीए की है।
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