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सीएम हेल्पलाइन में लगातार शिकायतों का आँकड़ा बढ़ने के बाद अब इनकी मॉनिटरिंग हर दिन हो रही है। प्रतिदिन चार्ट तैयार किया जा रहा है और संबंधित विभाग के अधिकारी को इसकी सूचना भी दी जा रही है। इसके बावजूद शिकायतों का आँकड़ा जितना कम होना चाहिये उसमें उतनी गति नहीं है।
कई विभाग तो ऐसे हैं जिनकी शिकायतों का अंबार लगा है। वे इसे हल करने में भी ज्यादा रुचि नहीं दिखा रहे हैं। कलेक्टर द्वारा समय सीमा बैठक में अधिकारियों को हिदायत के साथ चेतावनी दी जाती है कि इसमें सुधार लाया जाये इसके बाद भी शिकायतों की संख्या साढ़े 7 हजार से ज्यादा अभी भी बनी हुई है।
इन विभागों की ज्यादा शिकायतें
जिले में सबसे ज्यादा शिकायतें खाद्य विभाग की हैं। इनकी संख्या लगभग 1642 है। दूसरे नंबर पर राजस्व विभाग है जिनके लंबित शिकायतों की संख्या 888 है। मप्र आयुर्विज्ञान विवि की शिकायतें भी बढ़कर 495 हो गई हैं। वहीं संस्थागत वित्त विभाग की पेंडेंसी भी बढ़कर 481 हो गई है। पंचायती राज की लंबित शिकायतें 339, सामान्य प्रशासन विभाग की 217, पुलिस की 215, ऊर्जा विभाग की 2 सौ से ज्यादा शिकायतें लंबित हैं। ये ऐसे विभाग हैं जिनकी शिकायतें जितनी थी लगभग उतनी ही बनी हैं। अधिकारियों के रुचि न लेेने से इनकी शिकायतों में कमी नहीं आ रही है।
नोटिस और जुर्माना फिर भी सुधार नहीं
जिले में 165 विभाग ऐसे हैं जिनकी सीएम हेल्पलाइन में शिकायतों की संख्या 7881 से ज्यादा है। कई विभाग के अधिकारियों को जनता से जुड़ी शिकायतों के निराकरण न करने के लिये नोटिस दिया गया इसके बाद भी कोई सुधार नहीं आया तो कलेक्टर ने इन पर जुर्माना भी लगाया इसके बाद भी सुधार नहीं आ रहा है। अधिकारियों पर अब जुर्माना की राशि भी सौ से बढ़ाकर 1 हजार रुपये कर दी गई है फिर भी कई अधिकारी ऐसे हैं जो शिकायतों को लेकर गंभीर नहीं हैं।
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