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आने वाले सत्र 2021-22 में इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश लेने वाले हिन्दी मीडियम के विद्यार्थियों को एक सौगात मिलने जा रही है। सौगात के तौर पर उन्हें कोर्स की किताबें हिन्दी में पढ़ने का भी विकल्प मिलेगा। फिलहाल शहर में इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या 16 के करीब है। इन कॉलेजों में 3 हजार के लगभग हिन्दी मीडियम के विद्यार्थी बीई और एमई में प्रवेश लेते हैं। हिन्दी पाठ्यक्रम से अध्ययनरत ऐसे विद्यार्थी जब अचानक से अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई शुरू करते हैं तो उन्हें खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
पढ़ाई बीच में छोड़ने वाले छात्रों का प्रतिशत ज्यादा- राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विवि इस दिशा में गत दो सालों से काम कर रहा है। बताया जा रहा है कि अंग्रेजी माध्यम की जटिलता के कारण प्रवेश लेने वाले कई हिन्दी मीडियम विद्यार्थी बीच में ही कोर्स ड्राप कर देते हैं, क्योंकि उन्हें बीई की पढ़ाई शुरूआत में ही कठिन लगने लगती है। कुछ विद्यार्थी डिप्रेशन का शिकार भी हो जाते हैं। यही कारण है कि विवि ने पाठ्यक्रम की किताबें हिन्दी में प्रकाशित करवाने का निर्णय लिया है। ये किताबें ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन के मॉडल केरकुलम सिलेबस के तहत तैयार की जाएँगी। इसकी शुरूआत बीई प्रथम वर्ष और पॉलीटेक्निक कॉलेजों के डिप्लोमा प्रथम वर्ष कोर्स से शुरू की जाएगी।
विद्यार्थियों काे भले ही हिन्दी में किताबें उपलब्ध करा दी जाएँगी, लेकिन मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब के लिए उन्हें अंग्रेजी तो सीखनी ही पड़ेगी।
-अरविंद कुमार शर्मा, प्राचार्य जेईसी
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