बाजार में वैसे तो हल्दी 150 रुपए से लेकर 300 रुपए प्रति किलो बिकती है, लेकिन बात जैविक हल्दी की हो तो लोग मुंह मांगी कीमत देने को तैयार हैं। जबलपुर के प्रगतिशील किसान जैविक तरीके से हल्दी उगाते हैं। वे प्रोसेसिंग के बाद उसे खुद ही बाजार में बेचते हैं। उनकी हल्दी 800 रुपए से लेकर हजार रुपए किलो की दर से बिकती है। इस बार वो इस हल्दी को एक्सपोर्ट भी करने की तैयारी में है। जैविक हल्दी किसानों की किस तरह किस्मत बदल सकती है? भास्कर खेती सीरीज-31 में आइए जानते हैं एक्सपर्ट अंबिका पटेल, (प्रगतिशील किसान) से…
रासायनिक खाद का नहीं करते प्रयोग
अंबिका पटेल ने कहा, मैं अपने खेत में पिछले 5 सालों से रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं कर रहा हूं। ऑर्गेनिक तरीके से 15 एकड़ खेत में हल्दी उगा रहा हूं। इसके अलावा, प्रदेश के 250 से अधिक किसान भी हमसे जुड़े हैं, जो जैविक तरीके से हल्दी उगाते हैं। उनकी फसल भी मैं खरीदता हूं। यह हल्दी प्रोसेसिंग के बाद बाजार में पैकेट के रूप में बेचता हूं।
जैविक हल्दी की कीमत 800 रुपए से हजार रुपए प्रति किलो है। देश के अलावा विदेशों में यूएसए, यूएई, चीन, रसिया, फ्रांस आदि देशों में इसकी काफी डिमांड है। इस बार फरवरी में हम एक्सपोर्ट करने की तैयारी में है। ऑर्गेनिक हल्दी होने की वजह से इसकी काफी डिमांड है और लोग मुंह मांगी कीमत देने को तैयार हैं।
कोविड में बढ़ा हल्दी का प्रयोग
कोरोना संक्रमण के बाद से हल्दी का प्रयोग बढ़ गया है। लोग हल्दी के अर्क से लेकर, दूध में मिलाकर इस्तेमाल करते हैं। इम्युनिटी सिस्टम बढ़ाने के लिए हल्दी का प्रयोग बढ़ा हैं। इसकी वजह से ऑर्गेनिक हल्दी की डिमांड बढ़ गई है। मेरे यहां शुद्ध ऑर्गेनिक तरीके से हल्दी उगाई जाती है। इसमें सिर्फ गोबर की खाद से तैयार वर्मी कंपोस्ट ही डाला जाता है। 15 एकड़ में इस बार 600 क्विंटल हल्दी होने की उम्मीद है, जो बाजार में 800 से 1000 रुपए किलो दर से बिकेगी।
ऑर्गेनिक तरीके से हल्दी उगाने में पहले साल उत्पादन मिलता है कम
ऑर्गेनिक तरीके से हल्दी की खेती करने में किसानों को पहले साल फायदा नहीं होता। दरअसल, रासायनिक खादों के बढ़ते इस्तेमाल से जमीन की उर्वरा शक्ति कमजोर हो चुकी है। अचानक रासायनिक खाद का प्रयोग बंद करने से किसानों को अधिक मात्रा में उपज नहीं मिल पाता। मुझे प्रति एकड़ पहले साल सिर्फ 8 क्विंटल हल्दी मिली थी, लेकिन जैसे-जैसे वर्मी कंपोस्ट से खेत की नेचुरल ताकत लौटी, पैदावार भी बढ़ने लगी। मेरे खेत में पांचवें साल 35 से 40 क्विंटल हल्दी निकलने की उम्मीद है। अगले साल इसका प्रोडक्शन और बढ़ेगा।
प्रति एकड़ 1 टन वर्मी कंपोस्ट की जरूरत
हल्दी की बुवाई जून महीने में की जाती है। फरवरी या मार्च के पहले सप्ताह में इसकी खुदाई कर ली जाती है। खेत की तैयारी के समय प्रति एकड़ 1 टन वर्मी कंपोस्ट डालते हैं। इसके बाद इसे रोटावेटर से खेत में मिक्सअप करा देते हैं। प्रति एकड़ 1 क्विंटल बीज की जरूरत पड़ती है। खेत में खरपतवार होने पर निराई-गुड़ाई के माध्यम से निकलवाते हैं। खरपतवार को नष्ट करने के लिए भी कीटनाशक का प्रयोग नहीं करते।
आधी हल्दी मसाले में तो आधी मेडिसिनल प्रयोग करते हैं
मेरा उत्पाद पूरी तरह ऑर्गेनिक है। 15 एकड़ में उत्पादित हल्दी का आधा मसाले के रूप में और आधा मेडिसिनल के तौर पर प्रयोग करते हैं। किसान भाई रासायनिक तरीके से अधिक मात्रा में हल्दी उगा सकते हैं, लेकिन उसकी कीमत 200 रुपए से ज्यादा नहीं मिल पाती है। किसान भाई ऑर्गेनिक तरीके से स्वास्थ्यवर्धक हल्दी उत्पादित करें। इसकी कीमत अधिक मिलेगी तो उनका मुनाफा कवर हो जाएगा
भास्कर खेती-किसानी एक्सपर्ट सीरीज में अगली स्टोरी होगी, कैसे टमाटर कैरी की खेती कर किसान हो सकते हैं मालामाल? खेती किसानी से संबंधित आपका कोई सवाल हो तो वॉट्सऐप नंबर 9406575355 पर मैसेज करें।
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