‘लड़की बालिग है। अपनी जिंदगी के फैसले खुद ले सकती है।’ यह टिप्पणी मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की डिवीजन बेंच ने एक मामले की सुनवाई के दौरान की है।
मामला जबलपुर की एक ऐसी लड़की का है, जो पिता के साथ रहना नहीं चाहती। वह सहेली के साथ जीवन गुजारना चाहती है। 2 महीने पहले दोनों घर से भाग चुकी हैं। फिलहाल दोनों जबलपुर में ही अलग रह रही हैं। इनमें से एक युवती के पिता ने हाईकोर्ट में याचिका लगा दी। इसी याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई।
सबसे पहले जानते हैं मामला क्या है?
जबलपुर की दो लड़कियां। बचपन में साथ खेलीं। साथ पढ़ीं और बड़ी हुईं। दोनों एक-दूसरे के सुख-दुख की साथी बन गईं। समय के साथ भावनात्मक रूप से दोनों में इतना लगाव हो गया कि अब अलग रहने को तैयार नहीं हैं। वर्तमान में एक युवती की उम्र 18, तो दूसरी की 22 साल है। परिवार को पता चला, तो दोनों घर से भाग गईं। 18 साल की युवती के पिता ने बेटी की कस्टडी के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी।
बचपन से लेकर जवानी तक साथ रहने की पूरी कहानी…
दोनों लड़कियां जबलपुर से करीब 20 किमी दूर खमरिया इलाके में ईस्ट लैंड में रहती हैं। दोनों पड़ोसी हैं। आपस में दूर की रिश्तेदार भी हैं। 22 साल की युवती के माता-पिता की 2 साल पहले कोरोना से मौत हो गई। इसके बाद वह अकेली रहने लगी। रिश्तेदार और पड़ोसी होने की वजह से 18 साल की युवती के पेरेंट्स उसकी देखभाल करने लगे। इस फैमिली में पति-पत्नी और बेटा-बेटी हैं। युवती काम करने लगी। उसने जैसे-तैसे 9वीं तक पढ़ाई की।
18 साल की युवती के पिता ऑर्डिनेंस फैक्ट्री से रिटायर हैं। वे नशे में आए दिन झगड़ा करते थे। पेरेंट्स जब उसे पीटते, तो वह बचने के लिए दूसरी युवती के घर चली जाती थी। धीरे-धीरे दोनों की दोस्ती गहराती गई और दोनों अधिकांश समय साथ रहने लगीं।
समय के साथ दोनों बड़ी होने लगीं। इसी के साथ रिश्ता भी मजबूत होता गया। बगैर किसी को बताए। बगैर अच्छा-बुरा सोचे, दोनों ने ताउम्र साथ जिंदगी बिताने का फैसला कर लिया। उन्हें पता था कि परिवार वाले उन्हें नहीं अपनाएंगे, इसलिए भागने का प्लान बना लिया। इस बीच परिवार को इसका पता चल गया। उन्होंने आपत्ति जताई। इसी साल, जुलाई में युवती ने 18वां जन्मदिन मनाया।
फिर दोनों घर छोड़कर भाग गईं
साथ रहने का फैसला कर चुकी दोनों ने इसी साल अगस्त में घर छोड़ दिया। 14 अगस्त को जबलपुर से भाग निकलीं। परिवार ने देखा तो पड़ोस की युवती भी लापता थी। उनको माजरा समझने में देर नहीं लगी। उन्होंने दोनों को खोजने की कोशिश की, लेकिन पता नहीं चला। 16 अगस्त को पिता ने दोनों लड़कियों की गुमशुदगी दर्ज कराई।
भोपाल के हॉस्टल में मिलीं
दोनों लड़कियां जबलपुर से भागकर भोपाल आ गईं। यहां कुछ दिन तक काम की तलाश में भटकीं। रहने के लिए हॉस्टल में किराए से कमरा भी ले लिया। इसकी जानकारी भोपाल पुलिस को मिल गई। भोपाल पुलिस ने 12 अक्टूबर को जबलपुर पुलिस को इसकी जानकारी दी। जबलपुर पुलिस परिवारवालों को भोपाल लेकर आई। 18 साल की युवती ने फैमिली के साथ रहने से मना कर दिया। उसने पिता के साथ जबलपुर जाने से मना कर दिया।
पिता ने बेटी के लिए लगाई हाईकोर्ट में याचिका
बेटी की कस्टडी पाने के लिए 14 अक्टूबर को युवती के पिता ने हाईकोर्ट का रुख किया। उन्होंने कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की। कोर्ट को बताया कि बेटी को महिला मित्र के बजाय घर पर रहने के लिए मनाने की कोशिशें की, लेकिन वह नहीं मान रही। याचिका को हाईकोर्ट ने मंजूर कर युवती को हाजिर होने का नोटिस तामील कराया।
हाईकोर्ट ने दोनों को एक घंटे का समय दिया
सरकारी वकील सुयश ठाकुर ने बताया कि याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और विशाल मिश्रा की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की। इस दौरान पिता ने कहा कि उनकी बेटी गलत राह पर जा रही है। उसे समझाने का बहुत प्रयास किया है। वहीं, बेटी ने कोर्ट को बताया कि घर वाले मुझे पीटते हैं। मैं बालिग हूं। समझदार हूं। अपने पैरों पर खड़ी हूं, इसलिए मुझे अपना जीवन जीने की इजाजत दी जाए।
कोर्ट ने दोनों को एक घंटे का समय दिया। कहा- दोनों आपस में सलाह कर लें। एक घंटे बाद दोनों फिर हाईकोर्ट के सामने पेश हुए। यहां युवती अपनी सहेली के साथ रहने की बात पर अड़ी रही। हाईकोर्ट ने कहा- लड़की बालिग है, इसलिए अपनी जिंदगी से जुड़े फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है।
एएसपी प्रदीप शेंडे के मुताबिक युवती के पिता ने खमरिया थाने में बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने कुछ दिनों में युवती को तलाश कर पिता के समक्ष ले गए, पर युवती पिता के साथ नहीं रहना चाहती थी। युवती के पिता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। सुनवाई के दौरान न्यायालय के आदेश पर दोनों को जाने दिया गया।
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