तीखी मिर्च एक किसान की जिंदगी में मिठास घोल रही है। पांच एकड़ में किसान ने मिर्च लगाई थी। प्रति एकड़ 16 टन उपज ली। 13 रुपए से लेकर 40 रुपए प्रति किलो की दर से मिर्च का अब तक भाव उठा चुके हैं। खेत में रोज 50 से 60 गांववालों को मिर्च तोड़ने का काम मिल जाता है। एक किलो मिर्च की तुड़ाई के एवज में 7 रुपए मिलते हैं। एक मजदूर 20 से 22 किलो मिर्च तोड़ लेता है। जून-जुलाई में खुद नर्सरी तैयार करते हैं। एक बार की खेती में चार लाख रुपए तक की बचत कर लेते हैं।
मिर्च की खेती और फसल को रोगों से बचाव के बारे में भास्कर खेती-किसानी सीरीज-38 में आइए जानते हैं एक्सपर्ट ओमप्रकाश तिवारी (प्रगतिशील किसान, घाटपिपरिया जबलपुर) से…
जून में खुद तैयार करते हैं नर्सरी
ओमप्रकाश तिवारी के मुताबिक, मार्केट से अच्छी किस्म के मिर्च का बीज लाते हैं। खुद ही नर्सरी तैयार करते हैं। जवाहर मिर्च का उपयोग बीज के तौर पर किसान भाई कर सकते हैं। इसकी उपज 283 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो सकता है। सात से आठ महीने की ये फसल होती है। खेत में बारिश के समय में मिर्च की रोपाई की थी। किसान भाई इसकी रोपाई तीनों मौसम में कर सकते हैं। पौधों के बीच की दूरी 30 सेमी और क्यारी की दूरी साढ़े चार फीट रखनी होती है।
क्यारी पर लगाएं मल्चिंग, फिर रोपें पौधा
मिर्च की बुवाई ऐसे खेत में करनी चाहिए, जहां जल निकासी की व्यवस्था हो। इसके लिए क्यारी को एक मीटर के आधार में 20 सेमी ऊंचाई पर बनाना चाहिए। इसमें गोबर की सड़ी खाद मिला दें। 30 माइक्रोन मोटाई वाली प्लास्टिक मल्चिंग शीट से क्यारियों को कवर कर दें। ड्रिप इरिगेशन से सिंचाई और खाद दें। मल्चिंग का फायदा ये होगा कि इससे खरपतवार नहीं होगा। मिर्च के लिए जरूरी नमी बनी रहेगी। मिर्च की मुख्य फसल जून से अक्टूबर के बीच में होती है। कुछ लोग सितंबर से अक्टूबर के बीच में और कुछ लोग फरवरी से मार्च के बीच में भी मिर्च लगाते हैं।
मिर्च की खेती में ये खाद डालें
मिर्च की खेत में तैयारी के समय सड़ी हुई गोबर की खाद का प्रयोग करना चाहिए। इसके बाद प्रति हेक्टेयर नाइट्रोजन 120 से 150 किलो, फॉस्फोरस 60 किलो और पोटाश 80 किलो लगता है। ड्रिप इरिगेशन में इसकी मात्रा 150 दिन में बांटकर हर दूसरे दिन देना अधिक फायदेमंद होता है। ड्रिप सिंचाई के साथ ही एनपीके 19:19:19 दे सकते हैं। मिर्च में फूल आने के समय प्लैनोफिक्स 10 पीपीएम और उसके 3 सप्ताह बाद छिड़काव करने से अच्छी वृद्धि होती है और फल भी अधिक आता है। रोपाई के 18 और 43 दिन के बाद ट्राई केटेनॉल 1 पीपीएम की ड्रेन्चिंग करना चाहिए।
रोग से बचाव के लिए ये करें
बाजार की अच्छी जानकारी होनी चाहिए
एक्सपर्ट ओमप्रकाश तिवारी बताते हैं कि मिर्च से अच्छा लाभ चाहिए तो बाजार की अच्छी जानकारी होनी चाहिए। अधिक मात्रा में मिर्च हो रही है तो दूसरे शहरों में भी बेच सकते हैं। मेरी मिर्च जबलपुर मंडी में जाती है। मिर्च की ग्रेडिंग की जाती है। हरी मिर्च का भाव अधिक मिलता है। 20 किलो की एक पैकिंग होती है। वो स्वाद में अधिक तीखी होती है। लाल मिर्च को भी 30 से 40 रुपए के भाव में बेच देते हैं। सुखाकर बेचने का झंझट न पाले किसान भाईं। रोज दिन भर मिर्च की तुड़ाई होती है। इसके बाद ग्रेडिंग कर पैकिंग की जाती है। सुबह तड़के मंडी में माल पहुंचाना होता है।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.