अर्चना चौधरी। उमरिया के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के बफर जोन एरिया में रोहनिया गांव की रहने वाली हैं। अर्चना रविवार को बेटे को बचाने के लिए बाघ से भिड़ गईं। करीब 15 मिनट तक संघर्ष के बाद 15 महीने के मासूम को छुड़ा लाईं। बाघ ने बच्चे के सिर और मां के सीने में नाखून गड़ा दिए। दोनों घायल अब जबलपुर के मेडिकल अस्पताल में भर्ती हैं। अर्चना की जुबानी जानिए संघर्ष के 15 मिनट की कहानी...
सुबह के करीब 10 बज रहे होंगे। मैं 15 महीने के बेटे राजवीर को घर से बाहर 50 मीटर दूर शौच करवा रही थी। इसी दौरान, झाड़ियों में कुछ आहट हुई। जब तक मैं कुछ समझ पाती, तब तक गुर्राता हुआ बाघ सामने आ गया। बाघ को सामने देख मैं डर गई। पलक झपकते ही उसने बेटे पर पंजा मार दिया। एक पल के लिए लगा, जैसे बेटे को बाघ ले जाएगा। मैं हिम्मत कर बाघ के सामने खड़ी हो गई। मैंने पास पड़ा ईंट का टुकड़ा मारा तो बाघ ने मुझ पर हमला कर दिया। करीब 20 मिनट तक मैं उससे संघर्ष करती रही। खाली हाथ होने से मैं बाघ के मुंह में मुक्के मार रही थी। बाघ हमला कर रहा था, पर मैंने ठान लिया था कि भले ही मर जाऊं, लेकिन बच्चे को कुछ नहीं होने दूंगी। जब लगा कि लड़ने की क्षमता खत्म हो गई है तो बच्चे को सीने से लगाया और उसके ऊपर लेट गई। बाघ लगातार पंजों से वार कर रहा था। मेरे शरीर से खून बह रहा था, पर मैं किसी भी कीमत में हारने को तैयार नहीं थी। मैंने ठान लिया था, बेटे को बचाना है, बेटे को बचाकर ही रहूंगी...। इस बीच बाघ की गुर्राहट सुनकर पति भोला समेत गांववाले भी आ गए। उन्होंने बाघ को भगाने का प्रयास किया। आखिरकार बाघ भाग गया। पति और गांववाले मुझे उमरिया अस्पताल लेकर आए, जहां से प्राथमिक उपचार के बाद जबलपुर रेफर कर दिया गया।
महिला के पति का आरोप- मदद के नाम पर मिले दो हजार रुपए
अर्चना आयुष विभाग में कंपाउंडर हैं। पति भोलाराम चौधरी ने बताया कि वन विभाग की तरफ से मदद के लिए सिर्फ दो हजार रुपए मिले हैं। इलाज में मेडिकल कॉलेज से तो दवाइयां मिल नहीं रही हैं। इसके अलावा बाहर से भी इंजेक्शन और दवाइयां लेनी पड़ रही है जो कि महंगी हैं। भोलाराम ने बताया कि बेटे के सिर पर बाघ का पंजा लग जाने से वह घायल हो गया है। अर्चना के शरीर में गंभीर घाव हैं।
भागते-भागते गांव के पास पहुंच गया था बाघ
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के वनपाल नंदलाल मरावी ने बताया कि सूचना मिली थी कि कोर एरिया के पास टाइगर का मूवमेंट है। गांववालों को आगाह करते हुए उसकी तलाश की जा रही थी। टाइगर रिजर्व की टीम हाथियों की मदद से टाइगर को तलाश कर रही थी। इस बीच, वह भागते-भागते पार्क से लगे गांव के पास पहुंच गया था, जहां उसने एक महिला और बच्चे पर हमला कर दिया था।
सीधी में बेटे को बचाने तेंदुए से भिड़ गई थी मां
सीधी जिले में दिसंबर महीने में संजय टाइगर बफर जोन टमसार रेंज अंतर्गत बाड़ीझरिया गांव में एक मां अपने बेटे को बचाने के लिए तेंदुए से भिड़ गई। मां के साहस के आगे तेंदुए को हार माननी पड़ी। वह बच्चे को छोड़कर भाग गया। आदिवासी महिला किरण बैगा शाम के 7 बजे के आसपास अलाव जलाकर तीनों बच्चों के साथ बैठी हुई थी। एक बच्चा गोदी में था। अगल-बगल दो बच्चे बैठे थे। तभी पीछे से अचानक तेंदुआ आया और बगल में बैठे 8 साल के राहुल को मुंह में दबोचकर ले जाने लगा।
ये देख मां चीखती हुई तेंदुए के पीछे दौड़ी। 1 किलोमीटर दूर जाकर तेंदुआ बच्चे को पंजों में दबोचकर बैठ गया। मां बिना हथियार के ही तेंदुए से भिड़ गई। तेंदुए के लगातार हमले के बावजूद महिला ने बच्चे को छुड़ा लिया। तब तक गांव के लोग भी पहुंच गए और तेंदुआ वहां से जंगल की ओर भाग गया। सीधी की जाबांज मां
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