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सीधी बस हादसे को 84 घंटे से ज्यादा हो चुके हैं। तीन परिवारों के बेटों का कोई सुराग लगा। हादसे के तीसरे दिन गुरुवार को सबकी उम्मीदें नहर की 4 किलोमीटर लंबी सुरंग पर टिकी थीं, लेकिन एनडीआरएफ के जवानों को तीसरे दिन भी सफलता नहीं मिली। शाम को तलाशी का काम रोक दिया गया। इधर, सेना के अफसरों ने नहर का मुआयना किया। ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ सेना के जवान 19 फरवरी से सर्चिंग ऑपरेशन की कमान संभालेगी।
उधर, तीनों परिवारों के आंसू अब भी नहीं थम रहे। बच्चों की तलाश में सीधी से रीवा जिले पहुंच गए, पर इंतजार खत्म नहीं हो रहा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी गुरुवार को रीवा में तीनों पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। रोते-बिलखते परिजनों ने सीएम से कहा, 'हमारे बच्चों को ढुंढवा दीजिए। अब और इंतजार नहीं होता।'
इसके बाद युवकों की तलाश के लिए सेना के जवान बुलाए गए। जबलपुर से सेना के भी अधिकारी पहुंचे थे। एनडीआरएफ और सीधी एसडीआरएफ की टीम ने चार किमी लंबी छुहिया घाटी की टनल में सर्चिंग की। टीम ने ऑक्सीजन सिलेंडर, हेडलाइट की मदद से टनल में तलाशी अभियान चलाया लेकिन, दिनभर की खोजबीन के बाद भी तीनों युवकों का कुछ अता-पता नहीं चला। टनल के अंदर 10 से 12 फीट पानी है। एसपी जयदीप प्रसाद ने बताया कि जबलपुर से आए सेना के अधिकारी से चर्चा हुई है। शुक्रवार को सेना की टीम रेस्क्यू में उतरेगी। एनडीआरएफ के साथ मिलकर सेना के अफसरों ने रेस्क्यू को मॉनिटरिंग भी की।
मंगलवार को सरदा पटना गांव के पास बाणसागर नहर में बस हादसे में अब तक 51 शव निकाले जा चुके हैं, लेकिन तीन परिवारों को अब भी उनका बेटा नहीं मिल रहा। इनके परिजन रामपुर निकैनी स्थित मॉर्चरी से लेकर नहर के घटनास्थल तक भटक रहे हैं।
कुकरीझर निवासी अरविंद विश्वकर्मा (20) के पिता विश्वनाथ ने बताया कि बेटा बोदरहवा सिहावल निवासी बुआ की बेटी यशोदा विश्वकर्मा (24) को एएनएम की परीक्षा दिलाने निकला था। हादसे में यशोदा की मौत हो गई। यशोदा का शव मंगलवार को ही मिल गया था, लेकिन अरविंद की तलाश में परिजन बेहाल हैं।
तीन बच्चों से छिन गया मां का आंचल
यशोदा विश्वकर्मा घर में बेटी दिव्या (5), बेटा दिव्यांश (3) और गौरव (18 महीने) को सास के पास छोड़कर परीक्षा देने निकली थी। उसकी मौत से तीनों बच्चे मां की ममता से महरूम हो गए। दिव्या और दिव्यांश को अब भी मां का इंतजार हैं। तीनों बच्चों को देखकर परिजन का कलेजा फट रहा है।
बहन के घर बलिया जा रहा था रमेश विश्वकर्मा
लापता युवकों में दूसरा रमेश विश्वकर्मा (25) है। मूलत: बिहार निवासी रमेश के पिता राजेंद्र सीधी स्थित PWD में नौकरी करते हैं। रमेश की बहन की शादी यूपी के बलिया में हुई है। वह बहन के घर जाने के लिए बस में सवार हुआ था। उसे सतना से ट्रेन पकड़नी थी। तीन दिन से परिवार उसकी तलाश में आंसू बहा रहा है। मां अस्तुरना और भाई के आंखों से आंसू नहीं रुक रहे।
बैंक के काम से सतना निकला था योगेंद्र शर्मा
तीसरा लापता युवक सीधी निवासी योगेंद्र उर्फ विकास शर्मा (23) है। वह HDFC बैंक में जॉब करता है और बैंक के ही काम से सतना निकला था। पिता सुरेश कुमार ने बताया कि मंगलवार सुबह 9 बजे हादसे की सूचना मिली थी। तब से परिवार योगेंद्र के मिलने की उम्मीद में सीधी से रीवा जिले की सीमा में नहर किनारे भटक रहा है। जैसे-जैसे समय गुजर रहा है, उनकी उम्मीदें भी टूटती जा रही हैं।
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