कोविड की तीसरी लहर ओमिक्रॉन के रूप में दुनिया भर में दहशत का पर्याय बनता जा रहा है। जबलपुर में भी कोविड संक्रमितों की संख्या देखे तो चिंता बढ़ाती है। नवंबर के 30 दिनों में 25 संक्रमित सामने आए। दूसरी लहर में हेल्थ सुविधाओं की कमी उजागर हो चुकी है। बावजूद प्रशासन कोई सबक सीखने को तैयार नहीं। विक्टोरिया अस्पताल में अब तक सीटी स्कैन मशीन नहीं लग पाई है। वहीं मेडिकल में ऑक्सीजन स्टोरेज टैंक नहीं लग पाया। जबकि जबलपुर में महाकौशल, विंध्य और बुंदेलखंड तक से मरीज इलाज को निर्भर हैं।
कोरोना की दूसरी लहर के कहर के बाद मेडिकल और विक्टोरिया अस्पताल में स्वास्थ्य संसाधन बढ़ाने की योजनाएं बनाई गई थी। लेकिन संक्रमण के कमजोर पड़ने के साथ प्रशासन भी की कोशिशें भी ढीली पड़ गई। विक्टोरिया में सीटी स्कैन शुरु नहीं हो पाया। वहीं मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन स्टोरेज के नए टैंक स्थापित नहीं हुए। जबकि दूसरी लहर में ऑक्सीजन की किल्लत से मौत का नजारा देखा जा चुका है।
ये होनी थी कवायद
ये है जमीनी हकीकत
मेडिकल कॉलेज में दो नए ऑक्सीजन स्टोरेज कैप्सूल टैंक लगाने के लिए निजी एजेंसी ने सिर्फ बेस तैयार किया है। टैंक नहीं आए है। विक्टोरिया अस्पताल में सीटी स्कैन के लिए कमरा ही बन सका है। मशीन अभी तक नहीं पहुंची है। अस्पताल में आइसीयू वार्ड बनकर तैयार है, लेकिन लोक निर्माण विभाग ने इसे हैंडओवर नहीं किया है।
यहां जरुरी उपकरणों का इंस्टॉलेशन होना बाकी है। कोविड को लेकर निजी अस्पतालों में लूट और नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन प्रकरण के चलते लाेगों का भरोसा सरकारी अस्पतालों पर लौटा है। बावजूद संसाधनों की किल्लत और ऑक्सीजन के साथ आईसीयू की सुविधा न होने के चलते मरीजों को मजबूरी में निजी अस्पतालों में जाना पड़ता है।
25 से अधिक जिलों के लोग आते हैं इलाज कराने
जबलपुर में महाकौशल के साथ ही नर्मदापुरम, विंध्य, बुंदेलखंड के 25 जिलों से मरीज इलाज के लिए आते हैं। अधिकतर मरीज रेफर होकर आते हैं जो ज्यादातर गंभीर होते है। पर यहां भी पर्याप्त सुविधाएं न होने से उन्हें निजी अस्पतालों की लूट का शिकार बनना पड़ता है। जबकि जिला अस्पताल में कम दर पर सीटी स्कैन की सुविधा होने से सुविधा होती। इससे गरीब मरीजों को फायदा मिलेगा। सीटी स्कैन मशीन को करीब दो महीने पहले शुरु हो जाना था। इस मामले में न्यायालय के निर्देश के बावजूद सीटी स्कैन जांच शुरु करने में देर हो रही है।
तीसरी लहर में बच्चों को खतरा ज्यादा
तीसरी लहर में बच्चों को अधिक खतरा होने की आशंका समय-समय पर व्यक्त की जा रही है। मोनिक्रॉन के संक्रमण की रफ्तार डेल्टा से सात गुना अधिक है। ऐसे में बच्चों के हेल्थ और उपचार की व्यवस्था पर जोर देना चाहिए। मेडिकल कॉलेज के डीन डॉक्टर पीके कसार के मुताबिक संक्रमण की तीसरी लहर में उपचार के लिए तैयारियां जारी है। पीडियाट्रिक वार्ड में आइसीयू बेड तैयार है। ऑक्सीजन टैंक की शीघ्र स्थापना की कोशिश की जा रही है।
बच्चों के इलाज के लिए ये है व्यवस्था
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