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जबलपुर का हरा मटर न केवल स्थानीय, बल्कि अन्य राज्यों और देश की सीमा के बाहर भी भेजा जाता है, इसलिए इसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर एक जिला-एक उत्पाद योजना के तहत कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने चिन्हित किया है। उन्होंने जिले में मटर उत्पादन के वर्तमान रकबे में वृद्धि, अच्छे किस्म के बीजों की बोनी व मटर के प्रसंस्करण पर विशेष ध्यान दिया है।
उन्होंने कहा कि इसके विपणन नेटवर्क को व्यापक स्वरूप देकर जबलपुर के मटर की ग्लोबल ब्रांडिंग भी की जायेगी। इससे जिले के मटर उत्पादक किसानों को पहले से कहीं अधिक मुनाफा होगा। जिले में उत्पादन का 80 फीसदी मटर बाहर जाता है।
इस मटर की अधिकाधिक मात्रा को जिले में ही प्रसंस्कृत कर बाहर भेजने की योजना तैयार की गई है। रबी सीजन में जिले के दो विकासखंडों शहपुरा एवं पाटन के किसान मटर की खेती को प्राथमिकता देते हैं। यहाँ के तकरीबन 23 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में दो लाख 30 हजार मीट्रिक टन मटर का उत्पादन किया जाता है। जिले के सिहोरा, मझौली और जबलपुर विकासखंडों के आंशिक क्षेत्रों में भी मटर की खेती होती है।
यहाँ भेजा जाता है मटर
वर्तमान में जबलपुर का मटर मुंबई, हैदराबाद, भोपाल, नागपुर और रायपुर के अलावा जापान और सिंगापुर भेजा जाता है। जिले में अभी निजी क्षेत्र की दो मटर प्रसंस्करण यूनिट कार्यरत हैं। इनमें से भानु फार्मस शहपुरा से प्रतिवर्ष 5 से 8 हजार मीट्रिक टन मटर प्रोसेसिंग की जाती है, यहीं से प्रोसेस्ड मटर सिंगापुर और जापान भेजा जाता है।
दूसरी यूनिट फ्रोजन एग्रो इंडस्ट्री औद्योगिक क्षेत्र उमरिया-डुंगरिया में स्थापित है। कलेक्टर ने बताया कि मटर से लोगों को खेत से मंडी तक काम मिलता है, स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलने का अवसर बढ़ेगा।
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