किसानों के लिए नकदी फसलों में धनिया और मेथी शामिल हैं। दोनों फसल का बीज और पत्तों के रूप में उपयोग होता है। बारिश छोड़कर इसे हर मौसम में उगाया जा सकता है। पर बीज के लिए रबी सीजन में इसकी बुवाई होती है। मध्य प्रदेश में धनिया की बम्पर पैदावार होती है। किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या फसल को माहू के प्रकोप से बचाने की होती है। भास्कर खेती-किसानी सीरीज-3 में पढिए, माहू और भभूती रोग से धनिया को बचाकर किसान कैसे तीन महीने में अच्छी फसल प्राप्त कर सकते हैं। आईए, जानते हैं एक्सपर्ट डॉक्टर रीना नायर ( प्रोफसर, उद्यानिकी विभाग जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय) से…
नकदी फसल है, तीन माह में हो जाता है तैयार
धनिया और मेथी की खेती किसानों के लिए नकदी फसल मानी जाती है। तीन माह में दोनों फसलें तैयार हो जाती हैं। दोनों फसलों की कीमत किसानों को अच्छी मिल जाती है। जवाहर धनिया-10 की बुवाई किसान कर सकते हैं। 14 से 21 प्रति क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक इसकी उपज ले सकते हैं। 60 से 70 रुपए प्रति किलो की दर से ये आसानी से बिक जाती है।
छोटे और कम जोत वाले किसानों के लिए फायदेमंद
धनिया और मेथी की खेती छोटे संसाधन और कम कृषिभूमि जोत वाले किसान भी कर सकते हैं। आपके पास कम जमीन है, तो भी आप उसमें फसल ले सकते हैं। अक्टूबर से 15 दिसंबर तक इसकी बुवाई किसान कर सकते हैं। जवाहर धनिया-10 का सुगंध और इसमें प्रोटीन की मात्रा इसे दूसरी प्रजातियों से बेहतर बनाती है। 20 किलो प्रति हेक्टेयर बीज की जरूरत पड़ती है। बुआई के समय खेत में एनपीके (80 किलो नाइट्रोजन, 60 किग्रा फास्फोरस और 40 किग्रा पोटाश) का प्रयोग करें।
माहू और भभूति रोग से बचाएं
धनिया के पौधे में फूल के समय माहू और भभूति रोग के प्रकोप से बचाना आवश्यक है, नहीं तो उत्पादन आधा ही रह जाएगा। फूल के समय माहू का प्रकोप होता है। उस समय बॉयो पेस्टीसाइड का प्रयोग करें। जेएनकेवी द्वारा विकसित लकैनीसीरियम लेकेनाइ स्प्रे का प्रयोग कर सकते हैं। वहीं भभूति रोग (पत्तियों पर सफेद पाउडर जैसा पदार्थ जम जाता है) से बचाव के लिए वेटेबल सल्फर का प्रयोग करना चाहिए। इसका दो ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।
मेथी को उकठा रोग से बचाएं
मेथी में अधिकतर उकठा रोग लगता है। पौधे पीले होकर सूख जाते हैं। इससे बचाव का सही तरीका है कि बुआई के समय ही सीड ट्रीटमेंट कर लें। मेथी को बिल्ट के दुष्प्रभाव बचाने के लिए बीज को ट्राइकोडर्मा से उपचारित कर लें तो ये समस्या नहीं आती है।
हल्की सिंचाई की होती है जरूरत
धनिया में पहली सिंचाई 30 से 35 दिन बाद (पत्ति बनने की अवस्था) दूसरी सिंचाई 50 से 60 दिन बाद (शाखा निकलने की अवस्था), तीसरी सिंचाई 70 से 80 दिन बाद (फूल आने की अवस्था) तथा चौथी सिंचाई 90 से 100 दिन बाद (बीज बनने की अवस्था ) में करना चाहिए।
खरपतवार से 40 प्रतिशत तक उपज हो जाती है कम
धनिया फसल में खरपतवार के चलते पैदावार 40 से 45 प्रतिशत कम हो जाती है। फसल के पहले 35 दिन में इसका प्रकोप होता है। धनिया फसल में खरपतवरों की अधिकता होने पर खरपतवारनाशी पेंडिमीथालिन 30 ईसी 3 लीटर को 600 से 700 पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर बुवाई के 2 दिन तक छिड़काव कर सकते हैं।
धनिया में कब दें खाद
असिंचित क्षेत्र में खाद की पूरी मात्रा बुआई के समय दे सकते हैं। जबकि सिंचित क्षेत्र में नाइट्रोजन की आधी मात्रा और फास्फोरस, पोटाश और जिंक सल्फेट की पूरी मात्रा बोने के पहले अंतिम जुताई के समय देना चाहिए। नाइट्रोजन की आधी मात्रा खड़ी फसल में टाप ड्रेसिंग के रूप में प्रथम सिंचाई के बाद देनी चाहिए।
किसानों की आय बढ़ाने पर जोर दे रही जेएनकेवी।
किसानों की आय बढ़ाने वाली फसल
धनिया पत्ती और मसाले के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसकी खेती में लागत कम आती है। किसान धनिया पत्ती की कीमत 10 रुपए से लेकर 200 रुपए तक प्राप्त कर सकते हैं। मसाले के लिए अभी धनिया की बुआई करें तो गर्मियों में पत्तेदार धनिया की बुआई करें। इसी तरह मेथी की फसल भी कम लागत में अधिक मुनाफा किसानों को दिलाती है। जबलपुर के मौसम को देखते हुए जीरा और कलौंजी की खेती के लिए भी अनुमति मांगी गई है।
भास्कर खेती-किसानी एक्सपर्ट सीरिज में अगली स्टोरी होगी कम जगह में कैसे खेती से करें साल भर आमदनी। खेती का ऐसा जवाहर मॉडल, जो किसानों के लिए एटीएम माना जा रहा है। यदि आपका कोई सवाल हो तो इस नंबर 9406575355 वॉट्सऐप पर सकते हैं।
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