एमपी में कई जिलों में बारिश हो रही है। किसानों के गेहूं से लेकर चना, सरसो, मसूर, भिंडी, प्याज सहित कई फसलों पर इसका असर पड़ा है। गेहूं पीला हाेने लगा है। किसान ऐसे में क्या करें। आइए जानते हैं प्रदेश के सबसे बड़े कृषि विश्वविद्यालय जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के रिसर्च डायरेक्टर जीके कतु से…
चने की फसल में तेज पानी से नुकसान होगा। जल निकासी की व्यवस्था करनी होगी। फूल थोड़ा बहुत झड़ेगा, पर उससे कोई नुकसान नहीं है।
गेहूं की फसल में पानी भरना नहीं चाहिए जल निकासी की व्यवस्था करें। आयरन एवं सल्फर की कमी के कारण पीलापन हो सकता है। फेरस अमोनियम सल्फेट का स्प्रे किया जा सकता है। मात्रा 2 ग्राम प्रति लीटर स्प्रे करें।
मसूर की फसल में नाइट्रोजन सल्फर बोरान की कमी हो सकती है। लेकिन यह देख कर ही वैज्ञानिक समझ सकते हैं। फूल वर्धक का स्प्रे किया जा सकता है। नीचे से जड़े यदि पानी अधिक गिरने के कारण सड़ रही हैं, तो टैबूकोजोल + सल्फर का स्प्रे किया जा सकता है। इस कांबिनेशन का 1 लीटर प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करने पर फायदा होगा।
मसूर की फसल अधिक पानी में गिर जाएगी और इसके कारण जड़ सड़न हो सकता है। अतः उपरोक्त बताई हुई उपाय किसान कर सकते हैं।
लहसुन के खेत में पानी भरता है तो नुकसान होगा। किसान भाई जल निकास की समुचित व्यवस्था करें।
लहसुन एवं प्याज में थ्रिप्स का यदि अटैक हुआ है तो इमिडाक्लोप्रिड दवा का डेढ़-एमएल मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर दें।
सरसों के खेत में पानी से नुकसान होगा। यदि तेज पानी गिरा हो, तो बचाव के लिए पानी रुकने के बाद फूलवर्धक डाल देते हैं तो फायदा होगा।
प्याज की रोपाई पानी रुकने के बाद जल निकासी की व्यवस्था करने के बाद की जा सकती है। पानी को खेत से बाहर निकाल कर रोपाई करें।
लगातार बारिश में फसलों को ये समस्याएं हो सकती हैं?
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