जबलपुर समेत महाकौशल और छत्तीसगढ़ के किसान चिरौंजी के पेड़ लगाकर लाखों रुपए कमा सकते हैं। सबसे अच्छी बात ये है कि इसे खेत के मेड़ पर लगाया जा सकता है। पांच साल में एक पौधे से 25 से 30 किलो चिरौंजी मिल सकती है। वर्तमान में 1500 रुपए किलो चिरौंजी का भाव है।
एमपी की सबसे बड़ी कृषि विश्वविद्यालय के बायोटेक विभाग ने टिशू कल्चर से चिरौंजी का पौधा तैयार करने में सफलता प्राप्त की है। वर्तमान में चिरौंजी का पेड़ रेड डाटा में आ चुका है। चिंरौजी का टिशू कल्चर पौधा कैसे तैयार होता है? और किसान इसे किस तरह लगा कर लाभ कमा सकते हैं? आइए जानते हैं- भास्कर खेती-किसानी सीरीज-20 में एक्सपर्ट डॉक्टर राधेश्याम शर्मा (वैज्ञानिक, जैव प्रौद्योगिकी, जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय) से…
कभी जबलपुर में खूब होता था चिरौंजी
कभी जबलपुर सहित एमपी में खूब चिरौंजी होता था। तब एमपी इसे एक्सपोर्ट करता था। यहां की आबोहवा और मिट्टी चिरौंजी के लिए मुफीद है। वर्तमान में बालाघाट, बैतूल, रीवा, मंडला, डिंडोरी और कुछ आदिवासी क्षेत्रों में ही चिरौंजी के पेड़ बचे हैं।
चिरौंजी के पेड़ अभी तक फल से ही तैयार होते रहे हैं। फल पकने के तुरंत बाद प्लांट तैयार करने के लिए बोएं, तभी अंकुरण होता है। अक्सर 100 बीज में दो से तीन में ही अंकुरण होता है। इस कारण चिरौंजी के पेड़ लुप्त होते जा रहे हैं। चिरौंजी को बचाने के लिए इसे टिशू कल्चर से तैयार करने का प्रयोग जेएनकेवी ने शुरू किया, जो सफल रहा।
रेड डाटा बुक में हो चुकी है इंट्री
पिछले 20 सालों में एमपी में चिरौंजी के पौधे तेजी से खत्म हो रहे हैं। भारत सरकार ने रेड डाटा बुक में इसकी इंट्री कर दी है। ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाले 10 सालों में लुप्त हो जाएगी। मार्केट में चिरौंजी की बहुत डिमांड है।
लोग जंगल से कच्चे फल ही काट लेते हैं। जेएनकेवी की ओर से इसका प्रोजेक्ट भारत विज्ञान मंत्रालय में सब्मिट किया गया था। 2019 में वहां से 56 लाख रुपए का प्रोजेक्ट मिला। इसके बाद कान्हा, पेंच आदि संरक्षित जंगलों से इसके पौधे लाए गए। अब इन मदर प्लांट से टिशू कल्चर से पौधे तैयार किए जा रहे हैं।
टिशू कल्चर से तीन महीने में तैयार हो पाता है पौधा
चिरौंजी को टिशू कल्चर के तौर पर तैयार करना चैलेंज था। ये हार्ड नेचर का जंगली प्लांट है। टिशू कल्चर में इसकी ग्रोथ बहुत धीमी थी। चार महीने लग गए थे पहली बार पौधे तैयार करने में। वर्तमान में हमने इसकी सफल विधि खोज ली है। अब तीन महीने में टिशू कल्चर से पौधे तैयार किए जा सकते हैं।
इस प्रोटोकाॅल को कोई भी फार्मर या कंपनी यूज कर सकता है। विवि ने अपने स्तर पर इस विधि को रजिस्टर्ड कर लिया है। जल्द ही इसका पब्लिकेशन भी हो जाएगा। तब ग्लोबल लेवल पर इस तकनीक को प्रयोग किया जा सकता है।
6 साल में चिंरौजी फलने लगेगा
चिरौंजी के पौधे सात फीट के लगभग होते हैं। टिशू कल्चर से ये 6 साल में फलने लगता है। अभी फाॅरेस्ट विभाग से जबलपुर के पनागर जंगल में 500 के लगभग पौधे लगाए जा चुके हैं। किसान भी चाहें, तो इसे खेत के मेड़ पर लगा कर 6 साल में अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। पौधे सही तरह से विकसित होने पर 25 से 30 किलो चिरौंजी का उत्पादन होता है। किसान के खेत का मेड़ वैसे ही खाली रहता है। इसमें अलग से खाद-पानी भी नहीं देना पड़ता है।
जेएनकेवी से किसान प्राप्त कर सकते हैं पौधा
किसान या कोई फार्मर बड़े पैमाने पर चिरौंजी लगाना चाहे तो वह जेएनकेवी में डायरेक्टर रिसर्च के माध्यम से संपर्क कर सकता है। उसे ट्रेनिंग भी दिया जाएगा और पौधे भी उपलब्ध कराए जाएंगे। चिरौंजी में नवंबर-दिसंबर के बीच फूल आता है। मई-जून में फल पककर तैयार हो जाता है। बीज से चिरौंजी के पौधे तैयार होने में 8 साल लग जाता है। टिशू कल्चर से पौधे तैयार करना अधिक आसान है।
भास्कर खेती-किसानी एक्सपर्ट सीरीज में अगली स्टोरी होगी ड्रोन का खेती में प्रयोग, खाद से लेकर बीज लगाने तक उपयोगी। आपका कोई सवाल हो तो इस नंबर 9406575355 वॉट्सऐप पर मैसेज करें।
ये खबरें भी पढ़ें-
फरवरी में लगाएं खीरा:दो महीने में होगी बम्पर कमाई, पॉली हाउस हैं, तो पूरे साल कर सकते हैं खेती
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.