छात्रा की मांग में सिंदूर भरकर तीन साल तक शारीरिक शोषण करने वाला अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) का पूर्व महानगर मंत्री शुभांग गोटियां को सुप्रीम कोर्ट से भी झटका लगा है। आरोपी ने अग्रिम जमानत की याचिका लगाई थी। चीफ जस्टिस आफ इंडिया की अध्यक्षता वाली तीन जजों की कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने अग्रिम जमानत की याचिका खारिज करते हुए कहा कि आरोपी संबंधित ट्रायल कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण करें और फिर जमानत के लिए वहां की कोर्ट में आवेदन लगाए।
राइट टाउन निवासी शुभांग गोटिया के खिलाफ जबलपुर के महिला थाने में 21 जून को रेप का मामला दर्ज कराया गया था। तब से आरोपी फरार चल रहा है। उसकी गिरफ्तारी पर एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा ने 5 हजार रुपए का इनाम भी घोषित कर रखा है। बावजूद वह अभी तक पकड़ में नहीं आ सका। आरोपी अग्रिम जमानत की कोशिश में लगा है। एमपी हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद उसने सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका लगाई थी।
चार नामी वकीलों को खड़ा किया था
आरोपी ने अग्रिम जमानत पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में चार नामी वकील आर. रमाकांत रेड्डी, राजुल श्रीवास्तव, चारु अंबवानी और रजनीश चुन्नी को खड़ा किया था। पीड़ित छात्रा की ओर से अधिवक्ता राशि बंसल ने पक्ष रखा है। यहां बता दें कि राशि बंसल मुम्बई में साधुओं की हत्या वाली केस में भी पैरवी कर रही हैं।
अग्रिम जमानत मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमन्ना, जस्टिस सूर्यकांत व जस्टिस हिमा कोहली की बेंच में हुई। कोर्ट ने आरोपी की जमानत अर्जी खारिज कर दी। आदेश दिया कि वह ट्रॉयल कोर्ट में पहले समर्पण करे और वहां से जमानत लें। सुप्रीम कोर्ट ने एमपी हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है।
ये है मामला
महिला थाने में 21 जून को पिता के साथ पहुंची जबलपुर निवासी 23 वर्षीय छात्रा ने शुभांग के खिलाफ रेप का मामला दर्ज कराया था। 2018 में केंट स्थित एक कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उसकी मुलाकात एबीवीपी की मैंबरशिप के दौरान आरोपी से हुई थी। राइट टाउन निवासी 25 वर्षीय शुभांग गोटिया उस समय अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का महानगर मंत्री था।
उसने छात्र को प्यार के झांसे में फंसाया और फिर एक दिन उसकी मांग में सिंदूर भरते हुए बोला कि अब वे पति-पत्नी हैं, और तीन साल तक उसका शारीरिक शोषण करता रहा। जनवरी में शादी से मुकर गया, बोला -कि वो तो शादी का ढोंग किया था।
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