खेती-किसानी में नई-नई तकनीक आने के साथ जहां किसानों को नकदी फसल अपनाने का विकल्प मिला है। वहीं बेरोजगारों को भी खेती से जुड़े नवाचार कर कमाई का अवसर खुल गया है। किसानों की सबसे बड़ी समस्या मिट्टी की जांच, फसल में रोग और उपज की बिक्री का सही मूल्य न मिलना रहता है। भास्कर खेती-किसानी सीरीज-11 में किसानों की ऐसी ही समस्याओं का हल निकाला है जेएनकेवी के रिसर्च स्टूडेंट ने। उन्होंने चलित मृदा प्रयोगशाला बनाया है। आईए जानते हैं-एक्सपर्ट विनोद कुमार साहू (पीएचडी बायोटेक, जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय) से कि इससे किसान और बेरोजगार कैसे दोहरा फायदा उठा सकते हैं…
किसान की तीन प्रमुख समस्याें का समाधान है चलित प्रयोगशाला
किसान की तीन प्रमुख समस्या पहला कृषि लागत, दूसरा फसल के रोग और उपज की कीमत न मिलना। हमने एक चलित प्रयोगशाला का कांसेप्ट तैयार किया है। इसके पेटेंट की प्रक्रिया चल रही है। ये लैब टू लैंड के कांसेप्ट पर बनाया गया है। इसमें किसान के मृदा (खेत) के परीक्षण, फसल में लगने वाले रोग की पहचान करने की सुविधा रहती है।
किसान मिट्टी परीक्षण कराना चाहता है, लेकिन अभी तक उनके खेत पर ऐसी सुविधा नहीं मिल पाती थी। इसकी वजह से वह नहीं करा पाता था। मिट्टी में कौन से पोषक तत्व की कमी है। इसका पता होगा तो उसको बेवजह दूसरे खाद पर होने वाला खर्च बचाने में मदद मिलेगी।
फसल में कोई रोग लगा होगा तो मौके पर ही उसका पता चल जाएगा और कंसल्टेंट के माध्यम से उसका सही उपचार मिल जाएगा। वहीं इस चलित प्रयोगशाला का एक फायदा ये होगा कि किसान को अपने खेत में कौन सी फसल लें, ये भी वह तय कर पाएगा। अच्छी फसल होगी तो उसकी कीमत भी मिलेगी।
मिट्टी की 10 तरह की जांच हो सकेगी
खुद का एनजीओ बनाकर किसानों के बीच जाने पर उनकी समस्याओं को समझा। 2018 से इस लैब को तैयार करने का रिसर्च शुरू किया। अब जाकर ये पूरी तरह से फाइनल हो चुका है। इसे किसी कार या वैन को चलित लैब में बदला जाता है। इस लैब से किसानों को कई तरह के फायदे होंगे।
बेरोजगारों के लिए नया स्टार्टअप बन सकता है
चलित प्रयोगशाला बेरोजगार युवकों के लिए नया स्टार्टअप बन सकता है। कोई भी बेरोजगार युवक 12 से 15 लाख रुपए खर्च कर चलित मृदा प्रयोगशाला को अपना सकता है। यदि उसके पास खुद का पहले से चार पहिया वाहन है, तो उसका खर्च 6 से 7 लाख रुपए ही आएंगे। इस प्रयोगशाला से एक साल में 5000 किसानों के खेत की मिट्टी की जांच की जा सकती है। इससे वह पांच लाख रुपए तक की बचत कर सकता है।
तीन महीने के ऑर्डर पर होगा तैयार, 15 दिन की लेनी होगी ट्रेनिंग
चलित लैब को तैयार करने में तीन महीने का वक्त लगेगा। वहीं इच्छुक व्यक्ति को इसे ऑपरेट करने के लिए 15 दिन का प्रशिक्षण लेना पड़ेगा। इसमें वह मिट्टी की हर तरह की जांच करना सीख जाएंगे। फसल में रोग की पहचान करना सीख जाएंगे। फिर वह किसान को कंसल्टेंट की मदद से जरूरी खाद, बीज, कीटनाशक के बारे मौके पर ही जानकारी मुहैया करा पाएगा।
इनोवेशन को मिला चुका है पुरस्कार
चलित प्रयोगशाला के इस इनोवेशन को केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर 12 अगस्त को दिल्ली में पुरस्कृत कर चुके हैं। इनाम के तौर पर एक लाख रुपए और प्रशस्ति पत्र मिले थे। देश भर से 800 युवा ने यूएनडीपी द्वारा आयोजित स्वाॅल्ड चैलेंज में शामिल हुए थे। तीन राउंड में पहले टॉप-100, फिर टॉप-50 और आखिरी राउंड में टॉप-10 में इसे पहला अवार्ड मिला था। वर्तमान में जबलपुर स्मार्ट सिटी और हैदराबाद की एक संस्थान उनके इनोवेशन को फंडिंग करने जा रही हैं।
भास्कर खेती-किसानी एक्सपर्ट सीरीज में अगली स्टोरी होगी मशरूम की खेती कैसे करें। आप भी इसे अपनी छोटी सी जगह या एक कमरे वाले स्थान पर भी लगा कर कमाई कर सकते हैं। यदि आपका कोई सवाल हो तो इस नंबर 9406575355 वाॅट्सऐप पर कर सकते हैं।
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