भेड़ाघाट के सरस्वती घाट में अवैध कब्जा कर बनाए जा रहे तीन मंजिला होटल को प्रशासन ने JCB लगाकर तोड़ दिया। ये होटल पांच हजार वर्गफीट सरकारी जमीन पर लगभग दो करोड़ की लागत से बनाया जा रहा था। कब्जा करने वाले की पत्नी और बेटी ने कार्रवाई के दौरान जमकर हंगामा किया। दोनों JCB मशीन पर चढ़ गईं। महिला पुलिसकर्मियों को दोनों को काबू में करने काफी मशक्कत करनी पड़ी। परिवार गुहार लगाने कलेक्टर कार्यालय भी पहुंचा, लेकिन बात नहीं बनी।
शहपुरा एसडीएम अनुराग तिवारी के मुताबिक, हाईकोर्ट ने पहले ही नर्मदा से 300 मीटर के अंदर किसी भी तरह के नए निर्माण पर रोक लगा दी है। इसके बावजूद भेड़ाघाट निवासी विजय सिंह लोधी द्वारा शासकीय भूमि पर कब्जा कर 5000 वर्गफीट में तीन मंजिला होटल का निर्माण कराया जा रहा था। भूतल में जहां पार्किंग बनाई गई थी। ऊपर के दो मंजिल में कमरे बनाए गए थे।
भारी पुलिस बल के साथ पहुंचा प्रशासनिक अमला
एएसपी शिवेश सिंह बघेल, एसडीएम शहपुरा अनुराग तिवारी, सीएसपी बरगी अशोक तिवारी, सीएसपी भावना मरावी, रक्षित निरीक्षक सौरव तिवारी, टीआई भेड़ाघाट शफीक खान, टीआई बरगी रितेश पांडे, टीआई गढ़ा राकेश तिवारी, टीआई संजीवनी नगर भूमेश्वरी चौहान, थाना प्रभारी चरगवां विनोद पाठक सहित लगभग 60 पुलिसकर्मी, नगर निगम जबलपुर, भेड़ाघाट नगर पंचायत का अमला कार्रवाई के लिए पहुंचा था।
JCB पर चढ़कर मां-बेटी का हंगामा
कार्रवाई के दौरान एक ही हिस्सा JCB से तोड़ा जा सका था, तभी विजय सिंह लोधी की पत्नी व बेटी पहुंच गई। मां-बेटी बार-बार JCB के आगे जाकर कार्रवाई रोकने का प्रयास करती रही। लगभग घंटे भर पुलिस मां-बेटी सहित विजय सिंह लोधी और उसके बेटे संजय को संभालने में व्यस्त रही। चारों यहां से कलेक्टर कर्मवीर शर्मा के पास भी कार्रवाई रोकने की गुहार लेकर पहुंचे। हालांकि वहां उनकी कलेक्टर से मुलाकात तो नहीं हो पाई। एक अन्य अधिकारी ने शिकायत लेते हुए हाईकोर्ट के आदेश और शासकीय जमीन का हवाला देकर कार्रवाई रोकने से मना कर दिया।
होटल को बचाने धर्मशाला बताने लगा आरोपी
कब्जेदार विजय सिंह लोधी ने होटल को बचाने के लिए उसे धर्मशाला बताने लगा। उसने कलेक्टर को सौंपे गए ज्ञापन में दावा किया कि वह अपने पिता की स्मृति में अपने सामाजिक लोगों की सहमति लेकर धर्मशाला का निर्माण करा रहा था। यह भी दावा किया कि पिछले 80 सालों से उक्त भूमि पर उसका कब्जा है। उसके पास पूरे दस्तावेज हैं। भवन निर्माण से पहले उसने सरपंच की सहमति और ग्राम पंचायत में टैक्स भी जमा है। यह भी आरोप लगाया कि बिना कोई पूर्व में नोटिस दिए उसके भवन को तोड़ने की कार्रवाई की गई।
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