खीरा हर सलाद का जरूरी हिस्सा होता है। अपने देश में खीरे की फसल साल भर हो सकती है। खीरा भी किसानों के लिए नकदी फसल है। कम लागत और महज तीन महीने में किसान इसकी फसल ले सकता है। जनवरी के आखिरी या फरवरी के पहले सप्ताह में किसान इसे अपने खेत में लगाकर अप्रैल तक बम्पर कमाई कर सकता है। भास्कर खेती-किसानी सीरीज-16 में आइए जानते हैं प्रगतिशील किसान आरएस कालरा, डीएसपी (एमपी पुलिस) से खीरे की खेती का गुर…
हर मौसम में कर सकते हैं खीरे की खेती
अब तो देश में खीरे की खेती पूरे वर्षभर संभव है। बारिश के साथ-साथ जनवरी के आखिरी सप्ताह से लेकर फरवरी में इसकी बुआई कर किसान भाई अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। 20 से 40 डिग्री के तापमान खीरे की खेती के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। पर आपके पास पॉली हाउस है, तो तेज गर्मी में भी आप खीरे की खेती कर सकते हैं। एक किलो प्रति एकड़ बीज की जरूरत पड़ती है। पौधों से पौधों के बीच की दूरी 60 सेमी और क्यारी की दूरी आधा मीटर रखनी चाहिए। एक जगह दो बीज रखनी चाहिए।
खेत की तैयारी के लिए गहरी जुताई करें
खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए। खीरे की फसल को अधिक पानी की जरूरत नहीं पड़ती है। दोमट मिट्टी इसके लिए सबसे उपयुक्त है। खेत की तैयारी के समय प्रति एकड़ खेत में 6 टन गोबर की सड़ी खाद डालनी चाहिए। 20 किग्रा नाइट्रोजन, 12 किग्रा फास्फोरस, 10 किग्रा पोटाश खाद की जरूरत पड़ती है। नाइट्रोजन का एक तिहाई हिस्सा, फास्फोरस व पोटाश के साथ बुआई के समय देनी होती है। बचे हुए नाइट्रोज का आधा हिस्सा एक महीने बाद और शेष हिस्सा फूल आने पर देना होता है।
अच्छी पैदावार के लिए रोग से बचाए
खीरे में फूल के समय वाइल्ड फ्लाई रोग लगता है। ये कीड़े पत्ते और फूल को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे खीरे का आकार और उत्पाद प्रभावित होता है। ऐसा देखने पर तुरंत उचित सलाह के साथ कीटनाशक का प्रयोग करें। खीरा लता वाली फसल है। टमाटर की खेती करने वाले किसान भाई टमाटर का झाड़ का उपयोग इसकी लता को चढ़ाने के लिए कर सकते हैं।
फल की अच्छी साइज व चमक के लिए टाॅनिक का प्रयोग करें
बाजार में अच्छी साइज और चमक वाले खीरे की मांग अधिक रहती है। गर्मी में न्यूनतम 10 रुपए किलो तक खीरा बिकता है। पर अच्छी किस्म के उत्पाद की कीमत 15 रुपए तक मिल जाती है। इसके लिए बाजार में अच्छे कंपनी का टॉनिक भी आता है। विशेषज्ञ की सलाह से खीरे की फसल में फूल से फल बनने की प्रक्रिया के दौरान इसका प्रयोग करने से अच्छी साइज और चमक मिलती है।
ड्रिप के माध्यम से करें सिंचाई
खीरे में अधिक पानी की जरूरत नहीं पड़ती है, लेकिन सूखा भी जमीन नहीं होना चाहिए। दोनों ही परिस्थियों में पौधा सूख जाता है। सब्जी की खेती में पानी का बड़ा फैक्टर है। नमी हो तो पानी दें, नहीं तो पानी रोक दें। पत्ते देखकर भी पता चल जाता है कि पानी की कब जरूरत है। कोशिश करें कि ड्रिप सिस्टम लगाए। इसका फायदा ये है कि पानी के साथ खाद की भी बचत होगी और जहां जरूरत होती है, वहीं पर पहुंचता है। ड्रिप सिस्टम न होने पर जहां ढाल होता है वहां अधिक पानी व खाद पहुंच जाता है। इसी तरह ऊंचाई पर दोनों की कमी हो जाती है। ड्रिप में हर पौधे के पास पानी पहुंचाने की सुविधा रहती है।
भास्कर खेती-किसानी एक्सपर्ट सीरिज में अगली स्टोरी होगी रामतिल के बारे में। इसे घी का भी विकल्प बताया गया है। जानवर भी इस फसल को नुकसान नहीं पहुंचाते। आपका कोई सवाल हो तो इस नंबर 9406575355 वॉट्सऐप पर सकते हैं।
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