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तिलहरी स्थित द ओवन क्लासिक बेकरी में 17 नाबालिगों से काम कराया जा रहा था। भोपाल जीआरपी के हाथ लगे एक नाबालिग ने इस बेकरी संचालक के शोषण की पोल खोली थी। इसके बाद गोराबाजार और श्रम विभाग के अधिकारी सक्रिय हुए। टीम यहां पहुंची, तो वहां 100 वर्गफीट के कमरे में 17 बच्चे काम करते मिले। बच्चों ने काउंसिलिंग में बताया कि उनसे 12-12 घंटे काम लिया जाता था। पूरी मजदूरी भी नहीं मिलती थी। घर भी नहीं जाने दिया जाता था। एक बच्चे ने कहा कि नशे की गोलियां देकर काम कराया जाता था।
बेकरी से मुक्त कराए गए सभी नाबालिग बच्चों को गोकलपुर स्थित बाल गृह में प्रभारी आकांक्षा तोमर की देखरेख में रखवाया गया है। यहां छिंदवाड़ा स्थित CWC की देखरेख में काउंसिलिंग कराई जा रही है। काउंसिलिंग रिपोर्ट के आधार पर CWC परिवारजनों की काउंसलिंग करने के बाद उनके सुपुर्द करेगी।
जोखिम भरे काम करते मिले नाबालिग
असिस्टेंट लेबर कमिश्नर जेएस उद्दे के मुताबिक गोराबाजार टीआई सहदेव राम साहू, श्रम निरीक्षक सौरभ शेखर और चाइल्ड लाइन की टीम के साथ संयुक्त रूप से तिलहरी स्थित द ओवन क्लासिक बेकरी पर दबिश दी गई थी। सभी की उम्र 15 से 17 के बीच की है। गोराबाजार पुलिस ने बेकरी संचालक 1502 राईट टाउन निवासी तुषार गोकलानी और मैनेजर रंजीत खिरर के के खिलाफ धारा 75 और 79 किशोर न्याय अधिनियम, धारा 3 क बालक व कुमार श्रम अधिनियम संशोधित धारा 16 बंधित श्रम पद्धति के तहत प्रकरण दर्ज कर जांच में लिया है। संचालक और मैनेजर को पुलिस ने हिरासत में लिया है।
36 श्रमिकों में 17 नाबालिग
बेकरी में कुल 36 श्रमिकों में 17 नाबालिग जलती हुई भट्टी के पास जोखिम भरा कार्य करते मिले। नाबालिगों ने बताया कि उन्हें अधिक मजदूरी का लालच देकर लाया गया था। बच्चों से 12-12 घंटे दिन व रात में काम कराया जाता था। पूरी मजदूरी भी नहीं देते थे। घर भी नहीं जाने दिया जाता था। इन बच्चों में 7 बिहार के, 5 जबलपुर के, 3 धूमा सिवनी के और दो कटनी के हैं। नियमानुसार 14 वर्ष से 17 वर्ष के नाबालिगों से चार घंटे का श्रम कराया जा सकता है, लेकिन कार्य जोखिमभरा नहीं होना चाहिए।
छोटे से कमरे में सात से आठ बच्चे
बच्चों को जहां छोटी सी जगह में काम कराया जाता था। वहीं, छोटे से कमरे में सात से आठ बच्चों को रखा जाता था। कमरे में मूलभूत सुविधाएं तक नहीं दी थी। फर्श पर बच्चे सोने को मजबूर थे। काम नहीं करने पर उनके साथ मारपीट भी की जाती थी। बुधवार को एक नाबालिग को सुपरवाइजर ने मारा था। वह नाराज होकर भाग निकला। बस से भोपाल पहुंचा। वहां पटना जाने वाली ट्रेन के इंतजार में था कि जीआरपी का एक आरक्षक पहुंच गया।
जीआरपी को बच्चे ने सुनाई शोषण की कहानी
बच्चे को देखकर आरक्षक को संदेह हुआ। पूछताछ की, तो बेकरी में होने वाले शोषण की कहानी सामने आई। वहां नाबालिग ने बयान में दावा किया कि बेकरी संचालक द्वारा नशे की गोली देकर काम कराया जाता है। जीआरपी की सूचना पर पुलिस और श्रम विभाग सहित चाइल्डलाइन सक्रिय हुई और 17 नाबालिगों को वहां से मुक्त कराया गया।
शहरभर में होती है बेकरी में तैयार माल की सप्लाई
द ओवन फैक्टरी में कई तरह के उत्पाद तैयार होते हैं। उसका एक आउटलेट एम्पायर टॉकीज के सामने खुला है। इससे आधे शहर में सप्लाई होती है। यहां ब्रेड से लेकर बिस्कुट आदि उत्पाद बनाए जाते हैं। फैक्टरी संचालक की करतूत सामने आई, तो शहर के लोग दंग रह गए। CWC की ओर से सभी बच्चों के अभिभावकों को सूचना देकर बुलाया गया है।
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