सीधी बस हादसा कई परिवारों को गहरा जख्म दे गया है। हादसे के चौथे दिन शुक्रवार को दो युवकों के शव मिले। इसी के साथ मरने वालों की संख्या 53 पहुंच गई। एक युवक अभी भी लापता है।
शुक्रवार को पहले रमेश फिर योगेंद्र का शव मिला। घटनास्थल से करीब 28 किमी दूर गोविंदगढ़ (रीवा) थाना क्षेत्र में एक किलोमीटर के अंतराल पर। दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे। दोनों दोस्त उस दिन बस में एक ही सीट पर बैठे थे। किसे पता था कि यह उनका अंतिम सफर होगा, वो भी साथ-साथ। दोनों के शव के हादसे चौथे दिन मिले।
पिपरौंध निवासी सुरेश कुमार राजस्व विभाग में लिपिक हैं। सुभाष नगर नूतन कॉलोनी में रहते हैं। नूतन कॉलोनी में ही पीडब्ल्यूडी में कार्यरत राजेंद्र विश्वकर्मा का भी परिवार रहता है। सुरेश के बड़े बेटे योगेंद्र उर्फ विकास (28) और राजेंद्र के मझले बेटे रमेश में गहरी दोस्ती थी। योगेंद्र को बैंक में जॉब मिल चुकी थी, जबकि रमेश को नौकरी की तलाश थी। दोनों को जब भी फुर्सत मिलती, साथ-साथ निकल लेते थे। हादसे के बाद से दोनों परिवार के लोगों का रो-रो कर बुरा हाल है। दोनों की तलाश में परिवार वाले साथ-साथ ही भटक रहे थे।
सतना के लिए दोनों साथ निकले थे
दरअसल, 16 फरवरी को रमेश को सतना से ट्रेन पकड़नी थी और योगेंद्र को भी बैंक के काम से सतना जाना था। इसलिए दोनों दोस्त सुबह 5 बजे एक साथ घर से निकले थे। रमेश की लाश छुहिया घाटी में बने टनल के दूसरी ओर टीकर के पास 500 मीटर दूरी पर सुबह 10 बजे मिली, फिर योगेंद्र का शव टनल से डेढ़ किलोमीटर दूर दोपहर करीब 12 बजे मिला।
चार दिन से परिवार ने अन्न को हाथ नहीं लगाया
हादसे में दोनों जवान बेटों की मौत से परिवार का रो-रो कर बुरा हाल है। चार दिन से दोनों परिवारों ने खाना-पीना छोड़ रखा है। एक-एक पल भारी पड़ रहा था। दोनों के शव मिलने की खबर पहुंची तो परिवार में कोहराम मच गया। रामपुर नैकिन में दोनों दोस्तों का साथ-साथ पीएम हुआ। शाम तक दोनों का अंतिम संस्कार भी सीधी में कर दिया जाएगा।
5 साल योगेंद्र की हुई थी शादी, कोई नहीं संतान नहीं
सुरेश कुमार के तीन संतानों में योगेंद्र (28) सबसे बड़ा था। उसकी पांच साल पहले निशा से शादी हुई थी। अभी उसकी कोई संतान नहीं थी। पति की मौत से निशा बदहवास सी हो गई। योगेंद्र से छोटा विपिन एयरफोर्स में है। हादसे की खबर पाकर वह भी घर आ गया है। विवेक शर्मा सबसे छोटा है।
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