आदिवासी भील समाज में कन्या पक्ष दहेज लेता है, जो करीब 1 से 5 लाख तक का होता है। झाबुआ जिले के मांडली बड़ी के रहने वाले अन सिंह बिलवाल ने अपनी बेटी की शादी महज सवा सौ रू. दहेज लेकर की है और सवा सौ रूपए दहेज भी केवल सामाजिक परंपरा बनाए रखने के लिए लिया है। इस पहल की हर कोई तारीफ कर रहा है।
अन सिंह कहते हैं कि आदिवासी समाज में बेटी का दहेज देने की परंपरा है। उन्होंने कई परिवार देखे जिन्होंने अच्छा खासा दहेज भी दिया लेकिन फिर भी उनकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। अन सिंह ने कहा कि सामाजिक जागृति जरूरी है। बेटियां ना तो पिता की जमीन जायदाद में हिस्सा मांगती हैं, ना ही किसी और चीज की मांग करती हैं तो फिर बेटी का दहेज क्यों लिया जाए।
बेटी को करें आशीर्वाद देकर विदा
दहेज को लेकर पिता की इस पहल पर दुल्हन भी खुश है और कहती है इसके बाद समाज के दूसरे लोग भी सबक सीखेंगे और बेटी का दहेज लेने की बजाय उसे आशीर्वाद देकर ही विदा करेंगे।
शिक्षा से आएगी आर्थिक उन्नति
अन सिंह मानते हैं कि यही पैसा अगर बच्चों की पढ़ाई शिक्षा पर खर्च किया जाएगा, समाज में सुधार आएगा और परिवार की आर्थिक उन्नति भी होगी। दहेज के लिए आदिवासी समाज साहूकार या दूसरों से कर्जा लेकर देते हैं और इस कर्ज के चुंगल से जिंदगी भर नहीं निकल पाते। पलायन पर पुरुषों के साथ महिलाओं के जाने की एक बड़ी वजह दहेज दापा है। समाज में दहेज दापा रोकने के लिए कई लोग जागरूकता अभियान चला रहे हैं। मांडली बड़ी के अन सिंह ने बातों के इतर अब ₹125 में कन्यादान करके समाज के सामने मिसाल पेश की है।
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