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जिले में एक महीने में डेंगू के तीन मरीज मिले हैं। जिला अस्पताल में ही एलाइजा टेस्ट की सुविधा होने के बाद डेंगू के मरीजों की स्वास्थ्य विभाग ने पुष्टि की है। इसके पहले जिले में 65 संदिग्ध मरीज मिल चुके हैं लेकिन एलाइजा टेस्ट की सुविधा नहीं होने के कारण स्वास्थ्य विभाग ने इन्हें डेंगू होने से इनकार कर दिया था। जिला अस्पताल में दिसंबर में ही एलाइजा जांच मशीन आई है। अब तक करीब 12 सैंपल्स की ही इससे जांच हुई है। इनमें से तीन पॉजिटिव केस मिले हैं। इस हिसाब से पहले मिले 65 संदिग्धों में भी डेंगू के मरीज होंगे लेकिन विभाग की देरी और जिले में जांच की उपलब्धता नहीं होने के कारण इनकी पुष्टि नहीं हो सकी। एक महीने में तीन मरीज मिलने के बाद अब स्वास्थ्य विभाग और सतर्क हो गया है। जहां भी संदिग्ध मरीज मिले हैं, वहां जांच शुरू कर दी गई है। तीन दिन पहले भावसा में एक मरीज मिला था। यहां विभाग सर्वे और बचाव के लिए प्रयास कर रहा है।
3 प्रकार का होता है डेंगू, दूसरा, तीसरा ज्यादा खतरनाक
डेंगू बीमारी तीन तरह की होती है। इसमें क्लासिकल (साधारण), डेंगू हैमरेजिक बुखार (डीएचएफ) और डेंगू शॉक सिंड्रोम (डीएसएस) शामिल है। इनमें दूसरे और तीसरे तरह का डेंगू सबसे ज्यादा खतरनाक होता है। साधारण डेंगू बुखार अपने आप ठीक हो जाता है और इससे कोई खतरा नहीं होता। लेकिन किसी को डीएचएफ या डीएसएस है तो फौरन इलाज कराना जरूरी है। ऐसा नहीं करने पर जान भी जा सकती है।
लैब में टेक्नीशियन कम, एलाइजा जांच में परेशानी
जिला अस्पताल में एलाइजा जांच की मशीन आ गई है लेकिन टेक्नीशियन नहीं होने से परेशानी हो रही है। कोविड के समय अतिरिक्त टेक्नीशियन मिले थे लेकिन अब उन्हें हटा दिया है। अस्पताल में कई जांच तो टेक्नीशियन नहीं होने से नहीं हो पा रही है। डेंगू के एलाइजा टेस्ट की जांच सप्ताह में एक बार हो रही है। लैब प्रभारी का कहना है इमरजेंसी होने पर हम तुरंत जांच कर रिपोर्ट देते हैं।
शहर की सिंधीबस्ती में हर साल मिलते हैं डेंगू संदिग्ध
शहर की सिंधीबस्ती में सबसे ज्यादा डेंगू संभावित मरीज मिलते हैं। पिछले तीन साल से यहां डेंगू का असर बढ़ रहा है। इससे लगी इंदिरा कॉलोनी और राजीव वार्ड की भी स्थिति ऐसी ही है। इसका बड़ा कारण तीनों वार्डों में पानी की किल्लत होना भी है। इस कारण लोग पानी का स्टोरेज ज्यादा करते हैं। साफ पानी में ही एडीज का लार्वा पनपता है, इसी से डेंगू का मच्छर जन्म लेता है।
जिला अस्पताल में सप्ताह में एक बार हो रही जांच
^जिला अस्पताल में दिसंबर से एलाइजा की जांच शुरू हुई है। टेक्नीशियन की कमी के कारण अभी सप्ताह में एक बार ही एलाइजा जांच हो रही है। लेकिन इमरजेंसी होने पर कभी भी जांच कर रिपोर्ट दे रहे हैं।
डॉ. हुस्ना मीर सीमाब, लैब प्रभारी जिला अस्पताल
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