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मप्र विपणन संघ के गोदामों में 18 लाख रुपए तक का उर्वरक कम निकला। यह अंतर बढ़कर करीब 50 लाख रुपए तक निकल सकता है। प्रारंभिक जांच में यह हेराफेरी बुरहानपुर के गोदाम में मिली है। नेपानगर के गोदामों में भी उर्वरक की बड़ी हेराफेरी सामने आई है। हालांकि अफसर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं कर रहे हैं लेकिन ये स्पष्ट किया है कि जिम्मेदार जेल जरूर जाएंगे। जिले में मार्कफेड के चार गोदाम में करीब 23 हजार उर्वरक की बोरियों की कंपनीवार गिनती एक सप्ताह से चल रही है। बुरहानपुर के खंडवा रोड, रेणुका मंदिर रोड कृषि उपज मंडी और मोहम्मदपुरा स्थित निजी गोदामों की 8 हजार बोरियों में से अभी 18 लाख रुपए के उर्वरक कम मिले हैं। 22 से 32 लाख रुपए तक के उर्वरक और कम निकल सकता हैं। शनिवार को नेपानगर के बीड़ स्थित गोदाम के 28वें स्टेग की गिनती पूरी हुई। अंतिम 29वें स्टेग की गिनती सोमवार शाम तक पूरी होगी। इसमें करीब 700 से 800 बोरियों को अलग किया जाना है। यहां भी लाखों रुपए तक उर्वरक में अंतर निकलेगा। 1 फरवरी तक चारों गोदामों की स्थिति स्पष्ट होगी। 2 फरवरी को इंदौर मुख्यालय में डीएमओ की बैठक होगी। जहां पूरा प्रतिवेदन जांच अफसरों को दिया जाएगा। शनिवार को बुरहानपुर ब्लॉक के केंद्र के चार्ज डीएमओ को हेंडओवर किए गए। नेपानगर स्थित गोदाम के केंद्र प्रभारी का प्रभार बदल सकता हैं। यह प्रभार खंडवा के एक अफसर को दिया जा सकता है। यह अफसर दोनों जिलों के केंद्रों की निगरानी करेंगे।
जुलाई 2020 में मुख्यालय में हुई थी शिकायत
पिछले साल जुलाई माह में मार्कफेड मुख्यालय में एक शिकायत हुई थी। इसकी अगस्त माह में पूर्व झेडएम ने जांच की थी। जांच प्रतिवेदन मुख्यालय में भेजा था। इसमें जिम्मेदारों ने एक माह का समय मांगा था। कहा था सोसायटियों से मिलान करेंगे या राशि जमा कराएंगे। जांच को एक माह पूरा हो गया है। कलेक्टर सिंह ने 31 जनवरी तक समय दिया था।
आगे क्या : संबंधित पर एफआईआर करेंगे
जिन जिम्मेदारों के कार्यकाल में उर्वरकों का अंतर निकला है, उनसे राशि की वसूली करेंगे। संबंधित पर एफआईआर करेंगे। उन्हें जेल हो सकती है। जांच में बताएंगे कहां, क्या, किसको माल बेचा है। जांच में पद से पृथक भी कर सकते हैं।
महंगे उर्वरकों की बोरियों में सस्ता फास्फेट डालकर बेचा
भास्कर संवाददाता | बुरहानपुर अगस्त 2018 में बसाड़ के पास ताप्ती नदी में उर्वरक की करीब 1 लाख से ज्यादा बोरियां मिली थी। इसका माल अन्य कंपनियों की महंगे उर्वरक की बोरियों में डालकर बेच दिया गया था। पूरे मामले को दो साल से ज्यादा समय बीत चुका है। अब तक इस मामले में एफआआर की गई है ना बोरियां फेंकने वाले ढूंढ पाए हैं। पूरा मामला अधर में पड़ा हुआ है। कृषि विस्तार अफसरों ने मामले की जांच की थी। इसमें से एक अफसर की 5 माह बाद मौत हो गई। जानकारी अनुसार दानेदार फास्फेट को 123216, डीएपी और 102626 की बोरियों में भरकर बेच दिया था। क्योंकि दानेदार फास्फेट की प्रति बोरी 200 रुपए की थी। डीएपी सहित अन्य बैग 1200 रुपए तक बिक रहे थे। कुछ में मिलावट की गई थी, जबकि कुछ डुप्लीकेट बनाकर बेची गई थी। इसकी खाली बोरियां ताप्ती नदी में फेंकी गई थी। हालांकि जांच अब भी अधूरी है।
25 दिन पहले मिला था नकली उर्वरक का ट्रक
करीब 25 दिन पहले एक डीलर ने 123216 उर्वरक की 25 टन का ट्रक डोईफोडिया के पास देखा गया था। इसका फोटो कंपनी के अफसरों को भेजा था। इसमें पाया कि बोरियों की सिलाई लाल धागे की थी। जबकि कंपनी की बोरियों की सिलाई हरे धागे में होती है। तब अफसरों को पता चला कि कंपनी के नाम से डुप्लीकेट उर्वरक बेचा रहा है। मार्कफेड मुख्यालय में एक शिकायत पहुंची है। जिसकी जांच अभी तक आगे नहीं बढ़ पाई है।
जिम्मेदारों से वसूलेंगे
^एक लाख बोरियों का पता नहीं। डुप्लीकेट उर्वरक की शिकायत मिली है। गोदामों की जांच में बड़ा अंतर आया है। अंतर और बढ़ सकता है। जिम्मेदारों से वसूली करेंगे या एफआईआर कर जेल भेजेंगे।
-अर्पित तिवारी, जांच अधिकारी मार्कफेड इंदौर
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