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पट्टों के लालच में जंगल में कब्जा कर डटे बाहरी अतिक्रमणकारियों को खदेड़ने की प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है। पिछले दिनों पुलिस-प्रशासन ने घाघरला के घाघरकुंड और देवझिरी को जंगलराज से मुक्त किया था। हालांकि अब भी निम्ना, बोरसल, चांदनी, बदनापुर और सीवल सहित अन्य क्षेत्रों में बाहरी अतिक्रमणकारी डटे हुए हैं। पिछले दिनों घाघरला में कार्रवाई के बाद कलेक्टर प्रवीण सिंह ने मंच से कहा था वो अतिक्रमणकारी जो2005 के बाद पट्टे की आस में यहां बसे हैं, वे सात दिन के भीतर यहां से चले जाएं, नहीं तो कार्रवाई की जाएगी। अब वन विभाग ने अतिक्रमण स्थल और गांवों में नोटिस चस्पा किए हैं। इसमें लिखा है तीन दिन के भीतर अतिक्रमणकारी यहां से हट जाएं, नहीं तो कार्रवाई होगी और चल-अचल संपत्ति कुर्क की जाएगी। सीवल, बदनापुर, निम्ना और बोरसल सहित अन्य अतिक्रमण स्थलों तथा गांवों में चस्पा किए गए नोटिस में वन विभाग ने चेतावनी दी है कि 13 दिसंबर 2005 के बाद वन क्षेत्र में अतिक्रमण कर अवैधानिक व अनाधिकृत रूप से खेती कर रहे और यहां रह हरे अतिक्रमणकारियों को सूचित किया जाता है कि वे तीन दिन के भीतर वनक्षेत्र में अपना कब्जा छोड़कर स्वयं ही चले जाएं। अन्यथा उनके द्वारा शासन को हुई हानि और कब्जा हटाने में होने वाले व्यय की राशि उनसे वसूल की जाएगी। इसके लिए उनकी चल-अचल संपत्ति कुर्क करने के लिए प्रशासनिक स्तर पर प्रस्ताव तैयार किया जाएगा। इसके लिए वे खुद जिम्मेदार रहेंगे। इसलिए चेतावनी दी जाती है कि वे खुद ही वन क्षेत्र से चले जाएं।
प्रशासन ने पहली बार की सख्त कार्रवाई
गौरतलब है कि 7 नवंबर 2020 को नावरा रेंज के घाघरला जंगल में वन, राजस्व और पुलिस की टीम अतिक्रमण हटाने गई थी। इस दौरान अतिक्रमणकारियों ने उन पर तीर और गोफन से जानलेवा हमला किया था। इसमें 17 से अधिक कर्मचारी घायल हुए थे। मामले में पुलिस ने 29 नामजद सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया था। एसपी राहुलकुमार लोढा ने आरोपियों पर इनाम भी घोषित किया था। बाद में कुछ आरोपियों की गिरफ्तारी हुई तो कुछ अब भी फरार हैं। यहां जंगल कटाई के साथ ही लगातार हो रहे हमलों के बाद पुलिस और प्रशासन ने पहली बार सख्ती दिखाते हुए कार्रवाई कर यहां से जंगलराज खत्म किया था। इससे क्षेत्रवासियों ने बड़ी राहत महसूस की है।
तत्कालीन रेंजर की चल रही विभागीय जांच
पिछले दिनों नावरा के तत्कालीन रेंजर गुलाबसिंह बामनिया का अतिक्रमणकारियों के साथ कनेक्शन सामने आया था। डीएफओ ने उन्हें सस्पैंड कर दिया था। तीन दिन पहले ही खरगोन में वहां के डीएफओ ने विभागीय अधिकारी-कर्मचारियों के बयान लिए। बताया जा रहा है कि कई मामलों में बामनिया की संलिप्तता सामने आ सकती है। वहीं इसी तरह डेहरिया में भी करीब एक हजार से ज्यादा पेड़ काटने के कई महीनों बाद वन विभाग को इसकी जानकारी लगी थी। डिप्टी रेंजर और बीट गार्ड ने इसकी जानकारी विभाग से छुपाए रखी। उन्हें भी सस्पैंड कर दिया गया था। मामले की जांच चल रही है, लेकिन यहां भी अब तक यह जानने का प्रयास नहीं किया गया है कि वन कटाई किसने की थी। ऐसे में वनकर्मियों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं।
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