बुरहानपुर में पढ़ाई के दबाव के चलते कक्षा 9वीं के छात्र ने देर रात छात्रावास में फांसी लगाकर जान दे दी। उसने दो पेज का सुसाइड नोट भी छोड़ा है, जिसमें लिखा है- मुझे माफ करना पापा, आपका सपना मैं पूरा नहीं कर सकता हूं। इसी वजह से मर रहा हूं। मुझे भूलने की बीमारी है, जो भी याद करता हूं, वह भूल जाता हूं। सुसाइड करने वाले छात्र का नाम रविंद्र सोलंकी है। जो सातपायरी स्थित एकलव्य आदिवासी छात्रावास में रहकर पढ़ रहा था।
सुबह बच्चों ने उसे फांसी पर झूलते देखा तो उसके परिजनों को इसकी जानकारी दी। परिजन ने आरोप लगाया कि जब वो रात में पहुंचे तो वहां छात्रावास प्रबंधन से कोई नहीं था, केवल दो पुलिसकर्मी थे। शनिवार दोपहर डिप्टी कलेक्टर दीपक सिंह चौहान एकलव्य आदिवासी छात्रावास पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। छात्र धुलकोट के ग्राम उताम्बी का रहने वाला था। छात्र अपने पिता को बहुत प्यार करता था और उसने नोट में दो बार लव यू पापा लिखा।
बच्चे का सुसाइड नोट जो पुलिस को मिला...
सुसाइड नोट में छात्र ने बताया कि वो अपनी मर्जी से मर रहा है, इसमें किसी की कोई गलती नहीं हैं। उसने बताया कि उसे भूलने की बीमारी है। जिसकी वजह से वो अपने माता-पिता और उस पर विश्वास करने वालों का सपना पूरा नहीं कर सकता है। बीमारी का सबूत देते हुए उसने बताया कि पहले वाले स्कूल में पढ़ाई में हमेशा पहले आता था और इस स्कूल में आखिरी में आता हूं। मैं याद तो करता हूं, लेकिन उसे भूल जाता हूं।
दो बार लिखा- लव यू पापा
सुसाइड नोट के दूसरे पेज पर छात्र ने लिखा, 'मुझे माफ करना पापा, आपका सपना मैं पूरा नहीं कर सकता हूं। इसी वजह से मैं मर रहा हूं। मैं कुछ नहीं कर सकता तो मेरी जिंदगी किस काम की। लव यू पापा। आप जैसे पापा मुझे मिले, यही मेरी किस्मत थी। आपका बेटा हमेशा आपका सपना पूरा करने वाला चाहिए था। लव यू पापा।'
स्कूल से बच्चों ने दी सूचना
छात्र रविंद्र के चाचा तुकाराम ने बताया कि छात्रावास में पढ़ रहे गांव के बच्चों ने ही हमें सूचना दी, तब यहां पहुंचे। एकलव्य आदिवासी छात्रावास पहले कन्या शिक्षा परिसर कहलाता था। इसका नया भवन भी पास ही बनाया गया है, लेकिन छात्रावास फिलहाल पुराने भवन में चल रहा है। नेपानगर थाना प्रभारी अनिल यादव ने कहा- छात्र से सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है। मामले की जांच कर रहे हैं।
एक्सपर्ट बोले- स्ट्रेस से होता है ऐसा
सुसाइड को लेकर बुरहानपुर जिला अस्पताल के मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. इकराम उल हक ने बताया कि स्ट्रेस ज्यादा होने की वजह से ऐसा होता है। अधिकांश बच्चे या बड़े डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं। बच्चों को पढ़ाई का स्ट्रेस रहता है। अकेलापन भी एक कारण है। कोविड-19 ने भी काफी दूरियां बढ़ा दी हैं। परिवार के साथ बातचीत कर समस्या का हल निकालना चाहिए। तभी स्ट्रेस लेवल को मैनेज कर पाएंगे।
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