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इंदौर-इच्छापुर हाईवे स्थित भानबरड़ गांव का इंद्रानगर हाईवे के दूसरी ओर करीब 1.8 किमी दूर है। इंद्रानगर में पहुंचने से पहले ही नहर आती है। इस पर पक्की पुलिया भी बनी है। गांव की सड़क सीमेंट-क्रांकीट से बनी है लेकिन यहां जाने के लिए खेतों के बीच कच्चे व गड्ढे भरे रास्ता से जाना पड़ता है। इसके कारण ग्रामीण परेशान है। दो साल में करीब 5 से अधिक बार कलेक्टर सहित जनप्रतिनिधियों को आवेदन दिया लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई। गांव के मुख्य मार्ग पर ही करीब 20 से 30 लोग करीब 5 दिन से भूख हड़ताल पर बैठे हैं लेकिन इनकी न तो प्रशासन सुध ले रहा है न ही जनप्रतिनिधि।
भूख हड़ताल कर रहे लोकेंद्र राड़वा, रमेश जमरे, लखन वास्कले व मुंशी बोरखरे ने बताया लंबे समय से गांव के पहुंच मार्ग बनाने की मांग कर रहे लेकिन हमारी मांग पूरी नहीं की जा रही है। इंद्रानगर में करीब 118 घर के 1 हजार से अधिक लोग निवास करते हैं लेकिन पहुंचमार्ग नहीं होने से गांव में आना मुश्किल हो जाता है। बारिश के दौरान किसी बीमार व बच्चे को वाहन व पैदल ले जाना किसी मुसीबत से कम नहीं हैं। जबकि भानबरड़ गांव में सभी सुविधा है लेकिन इंद्रानगर के रहवासियों को सुविधा वंचित रखा जा रहा है।
शाम में पहुंचे अफसर, लिखित में सड़क बनाने का दिया आश्वासन
5 दिनों से भूख हड़ताल कर रहे ग्रामीणों के पास मंगलवार शाम करीब 4 बजे जनपद सीईओ ओपी शर्मा, तहसीलदार सुखदेव डाबर मौके पर पहुंचे। उन्होंने ग्रामीणों की समस्या सुनकर गांव तक पहुंच मार्ग बनाने के लिए लिखित में दिया है। उन्होंने भूख हड़ताल पर बैठे लोगों को पानी पिलाकर हड़ताल समाप्त कराई। साथ ही तीन दिन में मार्ग निर्माण का प्रस्ताव तैयार करने की बात कही है। ग्रामीणों ने बताया अगर काम जल्द शुरू नहीं हुआ तो दोबारा आंदाेलन किया जाएगा।
रोड के लिए आए थे 9 लाख रु. सरपंच, सचिव व रोजगार सहायक ने किया गबन
ग्रामीणों ने बताया भानबरड़ से इंद्रा नगर तक सड़क निर्माण के लिए 2018 में 9 लाख रुपए की राशि स्वीकृत हुई थी लेकिन सड़क के स्थान पर मात्र मुरुम डालकर पूरी राशि निकालकर गबन कर लिया गया। जिस पर जनपद पंचायत को आवेदन देकर जांच की मांग की थी लेकिन कोई निराकरण नहीं हुआ। गांव में पानी की सप्लाय कुएं से की जाती है। इसकी मरम्मत न होने से आए दिन पशु उसमें गिरते रहते हैं। इससे लोगों को बीमारी फैलने का डर बना रहता है।
सेल्दा पावर प्लांट की रेलवे लाइन में प्रभावित होने पर विकास कार्याे के लिए आए थे 30 लाख रु.
...लेकिन यहां एनटीपीसी ने काम ही नहीं कराया
ग्रामीण दगड़ सोलंकी, अनोखीलाल मोरे व बलीराम दोबारे ने बताया गांव के पास से ही इंदिरा सागर की नहर गुजर रही है। इसका करीब 10 साल पहले निर्माण हुआ था लेकिन वर्तमान में नहर नाली जैसी बह रही है। पूरी नहर क्षतिग्रस्त हो चुकी है। इसका उपयोग लोग नहीं ले पा रहे हैं। जबकि इससे गांव व खेतों में पानी लोगों को मिलना था। ग्रामीणों ने बताया एनटीपीसी की रेलवे लाइन गांव के पास से गुजरी थी। इससे यह गांव भी प्रभावित हुआ था। इसके लिए गांव में विकास कार्य के लिए 30 लाख रुपए स्वीकृत हुए थे लेकिन अब तक राशि नहीं दी गई है। इससे विकास कार्य नहीं हो पाया है। कुछ ही माह में राशि नहीं मिली तो वह वापस लौट जाएगी।
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