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खेतों की सिंचाई के लिए क्षेत्र में ओंकारेश्वर परियोजना की नहरों का निर्माण हुआ लेकिन कई किसानों को इसका सही तरीके से लाभ नहीं मिल रहा है। कुछ स्थानों पर घटिया निर्माण के चलते पानी रिसकर खेतों में पहुंच रहा है। खेत तालाब बनने से उत्पादन नहीं हो रहा है। कुछ क्षेत्रों में पानी का अब भी इंतजार बना हुआ है। नर्मदा घाटी विकास विभाग के अफसर नहर की मरम्मत व खेतों में पानी पहुंचाने का केवल आश्वासन देते है। मंगलवार को मिर्जापुर क्षेत्र के किसान एसडीएम कार्यालय पहुंचे। यहां एसडीएम संघप्रिय को ज्ञापन सौंपा। अनोकसिंह पिता सुखलाल सोलंकी, अन्नपूर्णाबाई पति देवेसिंह व देवसिंह पिता कड़वा ने बताया पिछले 4 साल से खेतों में नहर का पानी भर रहा है। सीपेज इस कदर हो रहा कि खेत तालाब बन गए हैं। 22 किसान परेशान हैं। इस साल भी अच्छे उत्पादन की उम्मीद में फसल लगाई थी। फसलें बर्बाद हो गई।
अफसर व जनप्रतिनिधि भी नहीं दे रहे ध्यान
नहर परियोजना के कमांड एरिया में आने वाले भीलगांव व डोंगरगांव के किसान अभी भी पानी का इंतजार कर रहे हैं। किसानों ने कहा नर्मदा घाटी विकास विभाग के आला अधिकारियों सहित जनप्रतिनिधियों को कई बार समस्या बता चुके है। इसके बाद भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हर साल नहर में पानी आने की उम्मीद में फसल लगाते है लेकिन विभाग के सुस्त रवैए के कारण पानी नहीं पहुंचने से नुकसान उठाना पड़ रहा है।
हर साल 2 लाख रुपए का नुकसान
समोतीबाई पति जसवंत, दिलीप पिता सुखलाल व कैलाश पिता राजाराम ने कहा नहर में घटिया सीमेंट-कांक्रीट का इस्तेमाल किया गया। इससे नहर जगह-जगह से खराब हो गई। दरारें हो गई है। क्षतिग्रस्त नहरों की सफाई भी नहीं होती है। ढलान भी ठीक नहीं होने से खेतों में पानी भर रहा है। इसके चलते पिछले 4 साल से फसल का कोई उत्पादन नहीं मिल पा रहा है। हर साल 2 लाख रुपए की नुकसानी हो रही है। कुलदीपसिंह पिता कोमलसिंह, सुखदेव
पिता चंपालाल, शेरू पिता गुलाबसिंह आदि ने कहा इस साल भी फसलें खराब हाे चुकी है। सर्वे कर मुआवजा दिया जाए।
स्प्रिंकलर नहीं ड्रिप पद्धति से मिले सिंचाई का पानी
बिस्टान | बिस्टान उद्वहन परियोजना से ड्रिप पद्धति से ही सिंचाई काे लेकर क्षेत्र के किसान लामबंद हो गए है। किसानों का आरोप है कि परियोजना से जुड़े अधिकारी स्प्रिंकलर सिस्टम से सिंचाई के लिए सहमति बनाने के लिए दबाव बना रहे हैं। 4 साल पहले मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने परियोजना निर्माण की आधारशिला रखी थी। 22 हजार हैक्टेयर सिंचाई का लक्ष्य है। ढाई साल में परियोजना का काम पूरा करने का दावा करने वाले अफसर अब जैसे-तैसे काम पूरा करना चाहते है। उद्वहन नहर समिति बिस्टान के सचिव संजय मराठे व सहसचिव प्रतीक पंवार ने कहा अफसर अब किसानों से फव्वारा यानी स्प्रिंकलर सिस्टम से सिंचाई करना चाहते है।
जबकि किसानों को ड्रिप सिंचाई पद्धति से ही फसलों में सिंचाई करना मुफीद लग रहा है। यह अच्छे उत्पादन के लिए भी व्यवहारिक होगी। पिछले दिनों एक सेमीनार में किए हस्ताक्षर को अफसर किसानों की स्प्रिंकलर सिस्टम में सहमति बताकर छलावा कर रहे है। इसको लेकर कार्यपालन यंत्री को 20 फरवरी को लिखित पत्र देकर प्रति ढाई हैक्टेयर पर वाॅल्व देने व ड्रिप सिस्टम से सिंचाई का प्रावधान करने की मांग की है। अफसरों के अनुसार परियोजना की लागत अनुमानित 385 करोड़ रुपए थी। इसमें 53.7 किमी की मुख्य व 390.68 किमी की वितरण लाइन डाली जाना था। 28 किमी पावर ट्रांसमिशन लाइन पर भी काम प्रस्तावित था। 3 स्थानों पर पंप हाउस का काम प्रगतिरत है।
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