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तीन हजार की आबादी वाले गांव रोहिणी की पेयजल व्यवस्था एक सरकारी ट्यूबवेल के भरोसे हैं। आसपास खेतों में मोटरपंप चलने से सरकारी ट्यूबवेल का वाटर लेवल गिर चुका हैं। इन खेतों के बिजली कनेक्शन बंद कराने की मांग ग्रामीणों ने पिछले सप्ताह एसडीएम से की। एसडीएम ने नायब तहसीलदार व पीएचई के अफसरों को निर्देश दिए, लेकिन वे मौके पर पहुंचे ही नहीं। बता दें कि इसी गांव में पेयजल समस्या को लेकर 2015 में यहां लंबी भूख हड़ताल चली थी, आनन-फानन में प्रशासन ने समस्या का निराकरण कराया था।
जिला मुख्यालय से महज 22 किमी दूर गांव रोहिणी अप्रैल की शुरूआत में ही जलसंकट से जूझ रहा है। इसकी वजह गांव का हर तबका पेयजल सप्लाई के लिए एक सरकारी ट्यूबवेल के भरोसे हैं। करीब 400 नल कनेक्शन में पानी सप्लाई व पशु होद भरें जाते हैं। सरकारी ट्यूबवेल के अलावा पेयजल सप्लाई का कोई अन्य विकल्प नहीं हैं।
सरपंच बोले : अगले सप्ताह से भूख हड़ताल पर बैठेंगे ग्रामीण
सरपंच भगवानसिंह पटेल का कहना है कि पेयजल समस्या विकराल रूप ले रही हैं। गांव के लोग बैलगाड़ी से लेकर मारूति वैन, ट्रैक्टर-ट्रॉली व पिकअप वाहनों से दूरदराज खेतों से पानी ला रहे हैं। समस्या का निराकरण नहीं किया गया तो अगले सप्ताह से भूख हड़ताल करेंगे। प्रशासन की लापरवाही से ऐसे हालात बने है। एसडीएम ने खेतों के कनेक्शन नहीं कटवाएं, पीएचई दूसरा ट्यूबवेल खनन नहीं करवा रहा, जनपद पंचायत के अफसरों का ध्यान नहीं है। यह गांव 2015 की घटना को फिर दोहराएंगा।
इस मामले में खंडवा एसडीएम ममता खेड़े ने कहा कि हमने संबंधित नायब तहसीलदार के अलावा पीएचई विभाग के अफसरों को मौके की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे। सोमवार को एसडीओ पीएचई ने रोहिणी गए थे। वहीं सरपंच भगवानसिंह पटेल का कहना है कि पूरा गांव पानी की समस्या को लेकर तरस रहा हैं। अभी तक कोई भी अफसर मौके पर नहीं आया हैं। एसडीएम को हम कई बार अवगत करा चुके हैं।
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