बेमौसम बारिश, सूखे से परेशान किसानों के लिए रबी सीजन का बजट और महंगा होने वाला है। सरकार ने डीएपी खाद के दाम स्थिर तो कर दिए, लेकिन सॉल्टेज के कारण इसके विकल्प के तौर पर एनपीके खाद की खपत बढ़ेगी। वहीं, इफको ने एनपीके खाद के दाम बढ़ा दिए है। एनपीके 12:32:16 में प्रति बोरी 265 रुपए का इजाफा हुआ है। एक बोरी में 45 किलो खाद आती है।
इधर, प्रदेश में यूरिया का संकट बना हुआ है। अधिकतर जिलों में मारामारी चल रही है। अगले सप्ताह तक मौसम साफ रहा तो खरीफ सीजन की फसलें कटकर खेत खाली हो जाएंगे। अधिकांश किसान रबी सीजन की तैयारी में जुट गए है। नवंबर माह के पहले-दूसरे सप्ताह यानी दिवाली तक गेहूं-चने की बोवनी पूरी होने का अनुमान है।
मध्यप्रदेश के मालवा, चंबल में पर्याप्त बारिश होने से रबी सीजन का रकबा बढ़ सकता है। वहीं सूखे की मार झेल रहे निमाड़ में रकबा को संतुलित रहेगा। कम पानी को देखते हुए किसान चने का विकल्प ले सकते हैं। इस तरह अगले दो सप्ताह में डीएपी, यूरिया समेत सभी रासायनिक उर्वरकों की डिमांड बढ़ जाएगी।
रबी सीजन से पहले बढ़ाए खाद के दाम
इफको कंपनी के सर्कुलर के मुताबिक, एनपीके 12:32:16 के दाम प्रति मीट्रिक टन के हिसाब से 29 हजार रुपए है, वहीं प्रति बोरी 1450 रुपए। अब तक इसके रेट 1185 रुपए होते थे, यानी 265 रुपए का इजाफा कर दिया गया है। इसी तरह एनपीके 10:26:26 के दाम प्रति मीट्रिक टन 28 हजार 800 रुपए व प्रति बोरी 1440 रुपए निर्धारित किए है।
डीएपी और एनपीके में ऐसे समझे अंतर
डीएपी का पूरा नाम diammonium phosphate है। यह एक रासायनिक और अमोनिया आधारित खाद है। डीएपी में 18 % नाइट्रोजन, 46% फास्फोरस, 18% नाइट्रोजन और 15.5% अमोनियम नाइट्रेट होता है। दूसरी तरफ एनपीके में ज्यादातर किसान 12:32:16 का ही उपयोग करते है। इसमें 12% नाइट्रोजन, 32% फास्फोरस तथा 16% पोटैशियम होता है। कुछ समय से जिंक कोटेड रहने पर 0.5% जिंक की मात्रा रहती है। डीएपी की तुलना एनपीके में 14% फास्फोरस और 6% नाइट्रोजन कम होता है।
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