मदरसे के नाम पर अनुदान लेकर निजी स्कूल चलाने वाले मदरसे पर शिक्षा विभाग ने कार्यवाही की और उसे बंद कर दिया। विभाग ने मदरसे को मिलने वाले अनुदान को बंद करने के लिए शासन को पत्र भी लिखा है। इस मदरसे को हर साल शासन की ओर से 97 हजार रुपए का अनुदान मिलता था। जिसमें 72 हजार रुपए शिक्षक का वेतन व 25 हजार रुपए रखरखाव के शामिल हैं।
जिला शिक्षाधिकारी कार्यालय के अनुसार 29 नवंबर 2022 को बाल संरक्षण आयोग भाेपाल के अध्यक्ष द्रविंद्र मोरे व उनकी टीम ने सरकार से मान्यता व अनुदान प्राप्त शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों के मदरसों का निरीक्षण किया था। टीम ने ग्राम नागचून स्थित मौलाना अबुल कलाम आजाद नामक मदरसे का निरीक्षण किया तो यहां पर संचालक शाहबाज खान द्वारा निजी स्कूल का संचालन किया जा रहा था। जिला शिक्षाधिकारी कार्यालय के अनुसार निरीक्षण के दौरान मदरसे में कोई बच्चा नहीं था।
यहां पर क्रिसेंट पब्लिक स्कूल का बोर्ड लगा था और अंदर बड़ी संख्या में बच्चों का स्कूल संचालित था। बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रवीण मोरे ने तत्काल पंचनामा बनाकर मदरसा संचालक को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इसके बाद शिक्षा विभाग की ओर से संचालक के खिलाफ किसी भी तरह की कोई कार्यवाही नहीं की गई थी।
हर साल 97 हजार रु मिल रहा था अनुदान
शिक्षा विभाग के अनुसार शहर व जिले में संचालित मदरसों को हर साल शिक्षक के वेतन के 72 हजार व व मदरसे के रखरखाव के लिए 25 हजार, ऐसे कुल 97 हजार रुपए हर साल मदरसे को दिए जाते थे। अब यह अनुदान भी बंद हो जाएगा।
मप्र बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष के निरीक्षण में खामियां मिलने व मदरसे की जगह निजी स्कूल का संचालन मिलने पर नोटिस के बाद मदरसे को बंद करने की कार्यवाही की गई है। अनुदान बंद करने के लिए भी शासन को लिख दिया है। -मकसूद खान, शिक्षक व प्रभारी सरकारी मदरसा बोर्ड
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