खंडवा जिले में शनिवार को पुनर्विवाह का एक अनोखा मामला सामने आया। संभवत: यह पहला मामला है, जिसमें विधवा बहू और विधुर दामाद के लिए रिश्ता तलाशने से लेकर शादी कराने का जिम्मा दोनों पक्षों की ओर से माता-पिता के बजाए सास-ससुर ने निभाया। बहू के सास-ससुर ने बेटी मानकर और दामाद के सास-ससुर ने बेटा मानकर दोनों की आपस में शादी करवाई। इस जोड़े ने शादी के कुछ साल बाद ही अपने-अपने जीवनसाथी को खो दिया था।
दोनों के बच्चों के भविष्य के लिए फैसला
खरगोन निवासी रामचंद्र राठौर और गायत्री राठौर के बेटे अभिषेक का पांच साल पहले हार्ट अटैक से निधन हो गया था। इससे बहू मोनिका और सात साल की पोती दिव्यांशी उदास रहने लगी। इनकी परेशानी देख सास-ससुर ने तमाम सामाजिक बंधनों को तोड़ बहू का पुनर्विवाह कराने का मन बनाया। आखिरकार पांच साल की मेहनत काम आई और उन्होंने अपनी बहू के लिए वर तलाश लिया।
जिन खंडवा निवासी दिनेश की वर के रूप में तलाश पूरी हुई, उनका रिश्ता भी माता-पिता ने नहीं, बल्कि सास-ससुर ने ही तय किया। दिनेश की पत्नी समिता का कोरोना में निधन हो गया था। दिनेश की दो बेटियां हैं। इन बेटियों के भविष्य की खातिर दिनेश की सास शकुंतला राठौर और ससुर मोहनलाल राठौर को दामाद के लिए बहू की तलाश थी, जो पूरी हुई। शनिवार को खंडवा के गायत्री मंदिर में गायत्री पद्धति से जिला न्यायालय में स्टेनो दिनेश और मोनिका का पुनर्विवाह कराया।
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