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नगर निगम सीमा क्षेत्र में 50 से अधिक लोगों के एकत्रित होने वाले भवनों का पंजीयन विवाह स्थल के रूप में किया जाएगा। इन भवन में होटल, भूखंड, सामुदायिक केंद्र, भवन, धर्मशाला जिनमें विवाह, सगाई, बारात घर, जन्म दिवस और अन्य सामाजिक उत्सव किए जाते हैं, शामिल हैं।
इसके लिए राज्य सरकार ने विवाह स्थल पंजीयन एवं उपभोग के नियंत्रण के संबंध में उपविधियां बना दी हैं। इनका राज पत्र में प्रकाशन किया जा चुका है। अब इन उपविधियों पर अमल कराने के लिए निगम द्वारा सर्वे कराया जाएगा। फिलहाल शहर में 50 से अधिक मैरिज गार्डन हैं। इनका संचालन अवैध रूप से किया जा रहा है। क्योंकि इनमें तय मापदंडों के अनुसार व्यवस्थाएं नहीं हैं। एक बार लगेगा पंजीयन शुल्क, हर साल देना होगा उपभोक्ता शुल्क- विवाह स्थल की विभिन्न श्रेणियों के लिए शुल्क तय किया है। वैवाहिक परिसर का पंजीयन एक बार किया जाएगा। वहीं उपभोक्ता शुल्क वार्षिक दर से वसूल किया जाएगा।
एक श्रेणी वाले स्थल के लिए 500 से 1000 वर्गमीटर के विवाह स्थल के लिए पंजीयन शुल्क 4 हजार रुपए और शुल्क तीन हजार रुपए लगेगा। इसी तरह श्रेणी दो में 100 वर्ग मीटर से 15000 वर्ग मीटर के लिए पंजीयन शुल्क 5 हजार रुपए और शुल्क 3500 रुपए वार्षिक लगेगा। इस तरह पांच श्रेणियां तय की है। सबसे अधिक पंजीयन शुल्क 5 हजार वर्गमीटर से अधिक वाले स्थल के लिए 12500 और वार्षिक शुल्क 15000 रुपए तय किया है। इसके अलावा संपत्ति कर हर साल की तरह ही क्षेत्र फल के अनुसार जमा करना होगा। वार्षिक दर में तीन साल बाद 10 प्रतिशत की वृद्धि निगम करेगा।
नया नियम पंजीयन के लिए यह करना होगा
सर्वे के बाद करेंगे विवाह स्थलों का पंजीयन
राज्य सरकार ने विवाह स्थल के लिए उप विधियां बना दी हैं। इसके अनुसार पंजीयन शुल्क एक बार लिया जाएगा। शुल्क वार्षिक दर से लिया जाएगा। इसका राजपत्र में प्रकाशन हो गया है। शहर में सर्वे के बाद पंजीयन का कार्य किया जाएगा। -हिमांशु भट्ट, आयुक्त, नगर निगम
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