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घासपुरा के ताड़ीखाना स्थित आबिद अली उर्फ अमुखी के गोडाउन में लंबे समय से मिलावटी मसाले बनाने का काम चल रहा था। व्यवसायी शब्बीर हुसैन की तरह कई दुकानदार व भटियारों के आबिद अली से सीधा संपर्क था।
फरार आरोपी आबिद अली के खंडवा ही नहीं बल्कि बुरहानपुर के भी भटियारों व दुकानदारों से संपर्क है। आबिद की गिरफ्तारी के बाद कई राज खुल सकते हैं। आबिद सब्जी में तरी बढ़ाने के लिए रतनजोत की छाल में रासायनिक लाल रंग मिलाकर ऐसा मसाला बनाता था, जिससे तरी का रंग लाल हो जाता था। रासायनिक मसालों का उपयोग मटन व चिकन बनाने में किया जाता था। आबिद की मोबाइल कॉल डिटेल की जांच करने पर चौकाने वाला खुलासा हो सकता है।
इधर, गुुरुवार को शब्बीर हुसैन की जमानत न्यायालय ने खारिज कर दी। आरोपी के वकील ने तर्क दिया कि मामले का मुख्य आरोपी आबिद है। सहआरोपी हीरालाल द्वारा दी गई गलत सूचना के आधार पर शब्बीर हुसैन को आरोपी बनाया गया है। शब्बीर हुसैन द्वारा घासपुरा के ताड़ी खाना स्थित आबिद की चक्की पर मसाला पिसवाया जाता है। चक्की व गोडाउन का मालिक आबिद अली है।
न्यायालय की टिप्पणी मानव स्वास्थ्य के लिए घातक व हानिकारक
मामले में दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद न्यायालय ने माना कि यह गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। क्योंकि मिलावटी और केमिकल युक्त खाद्य पदार्थ आम लोगों के जीवन पर प्रत्यक्ष रूप से जुड़ा होता है और उससे जनमानस प्रभावित होता है। जो कि स्वास्थ्य के प्रति गंभीर अपराध की श्रेणी में दर्शित होता है।
प्रकरण में जांच जारी है और मानव स्वास्थ्य के लिए घातक व हानिकारक जब्त सामग्री की मात्रा को देखते हुए आरोपी हीरालाल को केवल इस आधार पर जमानत नहीं दी जा सकती कि वह दिहाड़ी मजदूरी करता है, जबकि उसे नैतिक कर्तव्यों का अनुसरण करते हुए पुलिस को सूचना देनी चाहिए था।
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