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संत सिंगाजी ताप परियोजना में फेस-2 की 1320 मेगावाट की दोनों यूनिट बंद होने से मजदूरों का वेतन आधा कर दिया गया है। इस कारण मजदूरों ने काम पर जाना ही बंद कर दिया है। इससे परियोजना अफसर परेशान हैं। वे ठेकेदारों पर दबाव बना रहे हैं कि आपको भी आधा की काम मिलेगा और मजदूरों को वेतन भी आधा ही देना है। आप कैसे भी मजदूरों को काम पर लाएं। ऐसा नहीं होने पर ठेकेदारों को ब्लैक लिस्ट करने की धमकी भी दी जा रही है। फेस-2 में काम करने वाले मजदूरों का कहना है 3 और 4 नंबर यूनिट अफसरों के कारण बंद हुई है। उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्हें पूरा वेतन भी मिल रहा है। अफसर मजे कर रहे हैं और हम गरीबों का वेतन आधा कर हमारे बच्चों का पेट काटा जा रहा है। एलएंडटी पावर के अफसर पर भी अब तक कार्रवाई नहीं की गई है। हमें माह में 26 दिन काम और इतने ही दिन का वेतन दिया जाए।
प्रमुख कंपनियों को भी दिए नोटिस
उधर, एमपीपीजीसीएल ने परियोजना में काम करने वाली प्रमुख कंपनियों को भी नोटिस जारी कर दिए हैं। इसके अलावा मौखिक रूप से भी कहा गया है कि मजदूर काम पर नहीं आते हैं और ऐसा ही विरोध व आंदोलन चलता रहा तो कंपनियों को ब्लैक लिस्ट कर अब ठेका नहीं दिया जाएगा। नोटिस के बाद कंपनियां भी दबाव में हैं। यूनिट बंद रहने का सबसे ज्यादा असर छोटे ठेकेदारों और पेटी कांट्रेक्टरों पर हो रहा है।
छह माह से नहीं हुआ भुगतान
सिंगाजी ताप परियोजना में काम करने वाले ठेकेदारों को जून से भुगतान नहीं किया गया है। इस कारण उन पर बड़ा संकट खड़ा हो गया है। चार माह तक तो उन्होंने जैसे-तैसे सैकड़ों मजदूरों को वेतन दिया, लेकिन अब वे भी विवश हो रहे हैं। अगर मजदूरों को भी दो माह तक वेतन नहीं मिला तो वे हमेशा की तरह आंदोलन करने लगेंगे। इसके अलावा उनके पास कोई विकल्प भी नहीं रहेगा। वेतन नहीं दे पाने के कारण वे मजदूरों पर काम करने के लिए दबाव भी नहीं बना पा रहे हैं।
परियोजना के मिल रिजेक्ट की दुर्गंध से ग्रामीण परेशान, राखड़ उड़ने से फसलें हो रही हैं खराब
भास्कर संवाददाता | बीड़
संत सिंगाजी ताप परियोजना के कारण आसपास के गांवों के लोग व किसान वर्षों से परेशान हैं। किसी गांव में केमिकल युक्त पानी छोड़ देते हैं तो कभी चिमनी से राखड़ उड़ाई जाती है। गर्मी में बांध से उड़ती राखड़ से ग्रामीणों का सांस लेना मुश्किल हो जाता है। ताजा मामला परियोजना से निकलने वाले मिल रिजेक्ट (खराब कोयला) का सामने आया है। मिल रिजेक्ट में आग से ग्रामीण दुर्गंध से त्रस्त हैं तो कोयला चूरी उड़ने से खेतों में फसलें खराब हो रही हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अफसर भी बड़ा मामला होने पर ही आते हैं और खानापूर्ति कर चले जाते हैं।
कुछ दिन पहले ही किसानों ने कांग्रेस नेता उत्तम पाल सिंह के साथ परियोजना अफसरों से मिल रिजेक्ट हटाने की मांग की थी। अफसरों ने आश्वासन देने के 15 से अधिक दिन बाद भी इसे नहीं हटाया है। जलकुआं के ग्रामीणों और किसानों की समस्या यथावत है। किसानों की शिकायत पर कृषि विभाग के अफसरों ने भी खेतों का निरीक्षण कर मिल रिजेक्ट को ही फसल खराब होेने का कारण माना था। उन्होंने भी परियोजना अफसरों को मिल रिजेक्ट के ढेर हटाने की सलाह दी थी, लेकिन उन पर कोई असर नहीं हुआ। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा भी कोई कार्रवाई नहीं होने से एमपीपीजीसीएल अफसर बेखौफ हैं। इधर, ग्रामीण क्षेत्रों में सांस रोग और सर्दी-खांसी के मरीज बढ़ रहे हैं।
प्रदूषण के कारण मवेशी भी हो रहे बीमार
जलकुआं के ग्रामीणों ने बताया मिल रिजेक्ट और अन्य प्रदूषण के कारण मवेशी भी बीमार हो रहे हैं। उनकी आंखों से पानी निकलने के साथ वे हांफने लगते हैं। हमें डॉक्टर बुलाकर उनका इलाज कराना पड़ रहा है। कुछ माह पहले जलकुआं गेट के नाले में दूषित पानी छोड़ने से हजारों मछलियां मर चुकी हैं।
किसानों को कोई समस्या नहीं होगी
^हमारे द्वारा रिजेक्ट कोयले को दबाने का काम किया जा रहा है। अब जो भी रिजेक्ट कोयला निकलेगा, उसे सीएचपी के पास डाला जा रहा है। किसानों को किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं होगी।
आरपी पांडे, प्रभारी प्रबंधक, सिंगाजी परियोजना
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