बड़वाह क्षेत्र में एक 30 वर्षीय युवक को सांप ने काट लिया, तो मौके पर मौजूद लोगों ने उसे पीट-पीटकर मार डाला। मौजूद लोगों ने सांप को मारने के बाद उसे थैली में बंद किया, फिर उसे झाड़-फूंक करने वाले बाबा के पास ले गए। जब युवक की तबीयत ठीक नहीं हुई, तो युवक के साथ सांप को भी बड़वाह के निजी अस्पताल ले आए।
करीब 3 फीट लंबे मरे हुए सांप को देखकर अस्पताल में भी सनसनी फैल गई। इसी बीच झाड़-फूंक का दौर अस्पताल में भी इसी तरह चलता रहा। आईसीयू में एक तरफ डॉक्टर इलाज कर रहे थे, तो वही दूसरी तरफ बाबा झाड़ फूंक करने लगे थे। अस्पताल प्रबंधन ने किसी तरह समझाकर उन्हें आईसीयू से बाहर किया।
जानें पूरा मामला...
मामला बड़वाह से कुछ किमी दूर मोगर गांव की है। युवा किसान राजेन्द्र पिता भगवान जीराती मंगलवार शाम करीब 5.30 बजे घर में गाय को बांधने के लिए खूंटे में रस्सी बांध रहा था। इसी दौरान भूसे के ढेर में बैठे सांप ने उसे दो बार कांट लिया। दर्द से चींखता हुआ राजेन्द्र मां के पास पहुंचा और सांप के काटने की बात बताई। पड़ोसियों को जब जानकारी लगी, तो वे भी अंदर पहुंचे। उन्होंने बाड़े मे सांप को ढूंढकर मार डाला।
मौके पर मौजूद ग्रामीण ने राजेन्द्र को सांप के काटे का इलाज करने वाले बाबा के पास ले जाने की सलाह दी। इस अंधविश्वास पर विश्वास कर परिजन उसे सेमरला में एक बाबा के पास ले गए। करीब डेढ़ घंटे तक झाड़-फूंक के बाद राजेन्द्र की तबीयत मे सुधार नहीं हुआ, तो बाबा ने भी जवाब दे दिया। बाबा के ही कहने पर मरीज को महेश्वर रोड़ स्थित साई अस्पताल लाकर भर्ती करवा दिया। रात करीब 11 बजे परिजन राजेंद्र को इंदौर ले गए हैं।
ग्रामीणों ने बाबा से आईसीयू में करवाई झाड़-फूंक
राजेन्द्र को लेकर परिजन अस्पताल पहुंचे तो बड़ी संख्या मे ग्रामीण भी थे। उन्होंने डॉ हिमांशु सिंह को घटना की पूरी जानकारी दी और मरे हुए सांप को भी दिखाया। राजेन्द्र की बिगड़ती स्थिति देख उसे आईसीयू मे शिफ्ट कर वैंटिलेटर पर रख दिया। ग्रामीण भी किसी झाड़-फूंक करने वाले बाबा को ले आए, जो नीम की पत्ती हाथ में रख मंत्र बुदबुदा रहा था।इसे देखकर डॉक्टर अचरज में पड़ गए। डॉक्टरों ने उन्हें बाहर जाने के लिए कहा, तो ग्रामीणों ने मना कर दिया। आखिरकार, प्रबंधन ने सख्ती दिखाकर बाहर कर दिया। इसके बाद भी ग्रामीण नहीं माने। इधर डॉक्टर राजेन्द्र इलाज कर रहे थे, तो कुछ ग्रामीण राजेन्द्र के कान में मोबाइल लगाकर किसी दूर बैठे बाबा से मंत्र सुनवा रहे थे।
एक-एक मिनट कीमती
डॉ हिमांशु सिंह ने बताया कि राजेन्द्र की पल्स 40 तक पहुंच गई थी। उसे वेंटिलेटर पर रख एंटी वेनम इंजेक्शन देकर जहर का असर कम करने की कोशिश की। इस दौरान राजेन्द्र की हालत पहले की अपेक्षा धीरे-धीरे बेहतर होती गई, लेकिन परिजनों के कहने पर उन्हें इंदौर रेफर कर दिया। डॉ सिंह ने बताया कि सर्प दंश की घटना में एक-एक मिनट कीमती होता है। ग्रामीण क्षेत्र में मरीज अस्पताल आने के बजाय झाड़-फूंक में लग जाते हैं, जिसमे बहुत समय बर्बाद हो जाता है। इसलिए जहर पूरे शरीर मे फैल जाता है और इससे मरीज की मौत भी हो सकती है।
राजेन्द्र के केस में भी उन्होंने झाड़-फूंक करने में समय बर्बाद किया। यहां तक की अस्पताल में भी इस तरह का झाड़-फूंक शुरू कर दी गई। अगर थोड़ा समय और बीत जाता, तो कुछ भी अनहोनी हो सकती थी। डायरेक्टर डॉ अजय मालवीय ने भी कहा कि हमारे पास अधिकतर ग्रामीण इलाकों से आने वाले सर्पदंश के केस में वे पहले झाड़-फूँक करवाकर आते हैं। सांप अगर जहरीला न हो, तो मरीज को कुछ समय बाद ठीक हो जाता है। इससे ग्रामीणों को लगता है कि टोटकों से वह ठीक हो गया। अगर सांप जहरीला हुआ, तो बिना मेडिकल इलाज के मरीज की मौत भी हो जाती है। पहले प्राथमिक इलाज ही करवाना मरीज के लिए बेहतर होता है।
कोबरा प्रजाति की थी मादा सांप
ग्रामीणों ने डॉक्टर राजेन्द्र से सांप की प्रजाति के बारे मे पूछा, तो डॉक्टर ने अनभिज्ञता जताई। इसके बाद ग्रामीणों ने बड़वाह मे रहने वाले वन्य प्राणी अभिरक्षक टोनी शर्मा को अस्पताल बुलाया। टोनी ने बताया कि यह मरा हुआ सांप कोबरा प्रजाति की मादा सांप थी। ठंड के मौसम में अधिकतर कोबरा गर्म जगह पर शरण लेते हैं। यह सांप ठंडे खून के होते हैं, इसलिए गर्म जगह पर रहना ज्यादा पसंद करते हैं। भूसा गरम होता है और इसमें छिपकर आसानी से चूहों पर घात लगाकर शिकार किया जा सकता है, इसलिए मिल जाते हैं। कई बार सांप अपने खुद के बचाव के लिए हमला करते है। इनका जहर न्यूरोटॉक्सिक होता है, जो हमारे तंत्रिका तंत्र पर असर करता है। कोबरा की काटने से आधे घंटे में ही सांस लेने में तकलीफ, चक्कर आना, यह लक्षण पाए जाते हैं। डॉ सिंह ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि राजेन्द्र को पैरालिसिस के लक्षण आने लगे थे। ऐसा तभी होता जब सांप बहुत ज्यादा जहरीला कोबरा प्रजाति का हो।
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