भारतीय जनता पार्टी की मध्यप्रदेश सरकार जान बूझकर ओबीसी वर्ग के आरक्षण को खत्म करने का षड़यंत्र कर रही है। तभी तो विगत दो वर्षों में इस पर सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। जब सुप्रीम कोर्ट ने निकाय चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के कराने का निर्णय दिया, तब जाकर शिवराज सरकार की नींद टूटी। अपनी जमीन खिसकती देख सरकार ओबीसी वर्ग की हितैषी बनने की नौटंकी कर रही है। यह बात जिला कांग्रेस अध्यक्ष एवं भीकनगांव विधायक झूमा सोलंकी ने शनिवार को मीडिया को संबोधित करते हुए कहीं। सोलंकी ने बताया कि 2003 में कांग्रेस की सरकार ने ओबीसी का आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किया था, लेकिन उसके बाद से बनी भाजपा सरकार ने अगले 15 वर्षों में अदालतों में खराब पैरवी करके ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण को समाप्त हो जाने दिया। 2018 में जब कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी तो सरकार ने ओबीसी को एक बार फिर से 27 प्रतिशत आरक्षण दिया।
कांग्रेस देगी 27 प्रतिशत टिकीट ओबीसी वर्ग को
सभी समाजों के साथ समानता का व्यवहार करना और सबको संविधान के मुताबिक अधिकार प्रदान करना कांग्रेस पार्टी की नीति का अभिन्न हिस्सा है। कांग्रेस आगामी निकाय चुनाव में ओबीसी वर्ग के 27 प्रतिशत प्रत्याशियों को टिकीट देगी। शहर कांग्रेस अध्यक्ष पूर्णा ठाकुर ने रखते हुए कहा कि ओबीसी आरक्षण समाप्त कराने के लिए शिवराज सरकार पहले जानबुझकर असंवैधानिक अध्यादेश लेकर आई और बाद में न्यायालय के दबाव में इस असंवैधानिक अध्यादेश को वापस लिया। यह भाजपा के गुप्त एजेंडे का हिस्सा है। मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ ने सरकार से यह कहा है कि वह प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से संविधान में संशोधन करने का आग्रह करें, ताकि ओबीसी वर्ग के नागरिकों को उनका संवैधानिक अधिकार मिल सके।
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