बच्चों के सर्वांगीण अर्थात शैक्षणिक, शारीरिक व मानसिक विकास के लिए शासन द्वारा अलग-अलग मदों में करोड़ों रुपए की राशि आवंटित की जाती है। जिले के 2463 प्राथमिक व 826 माध्यमिक स्कूलों में करीब ढाई लाख विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। इनमें से करीब 1 लाख 75 हजार बच्चे आदिवासी वर्ग से हैं। इन स्कूलों की मरम्मत से लगाकर बच्चों के शैक्षणिक व शारीरिक-मानसिक विकास के लिए सर्व शिक्षा अभियान के तहत बड़ी राशि आवंटित होती है।
इस राशि के बड़े हिस्से को फर्जी बिल लगाकर भ्रष्टाचार किया गया है। शिक्षा के नाम पर खेल तो हुआ ही है, इसमें भी खेल सामग्री के नाम पर बड़ा \"खेला' हुआ है। इस पूरे मामले में 9 करोड़ से ज्यादा का भ्रष्टाचार किया गया है। यह आरोप पूर्व विधायक बाबूलाल महाजन ने सोमवार को प्रेसवार्ता में लगाए। उन्होंने बताया कि खेल सामग्री, शिक्षण, विद्यालय मरम्मत, रंगाई पुताई, स्टेशनरी, फर्नीचर जैसी सुविधाओं में करोड़ों की कांटीजेंसी (शाला आकस्मिक निधि) में करीब 9 करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार हुआ है।
सही जांच में यह राशि और भी बढ़ेगी। उन्होंने पूरे मामले की शिकायत मुख्यमंत्री सहित कलेक्टर, स्कूल शिक्षा मंत्री, राज्य शिक्षा केंद्र और जिला पंचायत सीईओ को की है। कलेक्टर ने जांच टीम बनाकर पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
जैसे आरोप लगाए हैं, ऐसा कुछ नहीं है
"शालाओं में सामग्री की खरीदी स्कूल प्रबंधन समिति द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के तहत की गई है। जैसे आरोप लगाए हैं, ऐसा कुछ नहीं है। यदि जांच समिति बनी है तो उन्हें वास्तविकता से अवगत करवाएंगे।"
-केके डोंगरे, डीपीसी खरगोन
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