मंडला जिले की पंचायतों में रविवार से ग्रामसभाओं का आयोजन किया जा रहा है। पेसा एक्ट (पंचायत अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) लागू होने के बाद ग्रामसभाएं सशक्त हो चुकी हैं। ऐसे में 3 दिसंबर तक जिले की सभी पंचायतों में आयोजित होने वाली इन ग्राम सभाओं का महत्व बढ़ जाता है।
पेसा एक्ट को पढ़ कर समझें अधिकारी
कलेक्टर हर्षिका सिंह ने जनजाति एवं ग्रामीण विकास विभाग से जुड़े विभागों की बैठक कर सभी जनपद सीईओ को ग्रामसभाओं के लिए एजेंडे के बिंदु तैयार करने और ग्राम सभाओं का प्रचार-प्रसार के निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने प्रदेश सरकार की ओर से 15 नवंबर से लागू किए गए ’पेसा एक्ट’ के बारे में जानकारी देते हुए सभी अधिकारियों से ’पेसा एक्ट’ को पढ़ कर समझने की बात कही।
जल, जंगल, जमीन प्रबंधन का अधिकार
मंडला जैसे जनजातीय क्षेत्रों में वर्षों से चुनावी मुद्दा रहा पेसा एक्ट अब लागू हो गया है। इसकी मदद से सरकार अनुसूचित क्षेत्रों की ग्राम सभाओं के माध्यम से जनजाति समाज को जल, जंगल, जमीन प्रबंधन के अधिकार देकर उन्हें अधिकार संपन्न किया है।
पेसा कानून सकारात्मक कदम
कलेक्टर हर्षिका सिंह ने पेसा कानून को सकारात्मक कदम बताते हुए कहा कि इससे पंचायत की ग्रामसभा सशक्त होती है। उन्होंने कहा कि ये ऐसा कदम है जिससे पंचायत, ग्रामसभा एवं पंचायत की समितियां सशक्त होंगी। पंचायत एक स्वतंत्र निकय के तौर पर आगे बढ़ेगा। साथ ही जनजाति समाज की संस्कृति, परंपरा और संसाधनों का बेहतर ढंग से प्रबंधन किया जा सकेगा।
प्रभावी बनाने किया जाएगा प्रयास
केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि पेसा कानून के ड्राफ्ट को पहले पब्लिक के सामने रखा गया। लोगों के सुझावों के आधार पर संशोधन कर सरकार ने इसे लागू किया है। इसमें ग्रामसभा को सशक्त किया गया है। राजस्व, वनसंपदा आदि पंचायत क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले मामलों में ग्रामसभा का निर्णय ही मान्य होगा। उन्होंने कहा कि इसका प्रारूप और जानकारी ग्राम पंचायत स्तर तक होना चाहिए, ताकि इसको हम और प्रभावी कैसे बना सकते हैं। इसका प्रयास हमको करना पड़ेगा।
जीजीपी ने की सरकार की सराहना
वहीं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी जिलाध्यक्ष और जिला पंचायत उपाध्यक्ष कमलेश तेकाम ने मप्र में पेसा एक्ट लागू करने के लिए सरकार की सराहना करते हुए कहा कि ग्रामसभा को पूर्ण अधिकार दिया गया है। शासकीय कर्मचारियों को सचिव बनाया गया है तो कहीं ऐसा ना हो कि वे दबाव में काम करें। उन्होंने कहा कि जनजाति समाज को दिया गया अधिकार ठीक है। जनजाति समाज आज खनिज पदार्थ, जमीनों को लेकर जागरूक नहीं हैं यदि उन्होंने पेसा एक्ट के अधिकार को ठीक से समझ लिया तो वे विकास कर जाएंगे।
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