यमकेश्वर तीर्थ हुसैनी के तालाब में अमोनिया गैस बनने से हजारों मछलियां मर गई, जिससे श्रद्धालुओं की भावनाएं आहत हुई। 4 महीने पहले बिजली निगम ने पब्लिक हेल्थ के ट्यूबवेल का कनेक्शन काट दिया था, जिस कारण तालाब में साफ पानी नहीं डाला जा सका।
वीरवार से तालाब में मछलियां मरने का सिलसिला जारी है। तालाब के किनारों पर मरी हुई मछलियों के ढेर लगे हैं। तालाब की सफाई का जिम्मा गांव कुल्लड़पुर के रिंपी कोहली व उनकी टीम ने संभाला है। मरी हुई मछलियों को तालाब से निकालकर गड्ढे में दबाया जा रहा है। इसके अलावा पानी की गैस खत्म करने के लिए तालाब से पानी निकालकर दोबारा तालाब में डाला जा रहा। हुसैनी के निवर्तमान सरपंच रामकरण के मुताबिक करीब 10 हजार छोटी मछलियां मर चुकी हैं।
आस्था को ठेस, तालाब की हालत दयनीय
जैसे-जैसे मछलियां बड़ी होती रहीं, वैसे-वैसे शहरवासियों का इनसे लगाव बढ़ता गया। बहुत से लोग हर रोज मछलियों को आटा डालते थे, लेकिन अब यमकेश्वर तीर्थ के तालाब की हालत दयनीय बनी हुई है। मंदिर कमेटी ने इस तालाब को साफ रखने की मंशा से 5 साल पहले 10 हजार बीज डाला था। इसके बाद इन रंग-बिरंगी मछलियों की संख्या बढ़ती चली गई थी।
मछलियों की मौत का जिम्मेदार कौन?
मंदिर कमेटी का कहना है कि 2 साल पहले सरकार ने तालाब के लिए नया ट्यूबवेल लगाया था, जो 4 महीने से बंद है। बिजली निगम ने 20 लाख रुपए बिल न भरने के कारण कनेक्शन काट दिया, जबकि ट्यूबवेल पब्लिक हेल्थ विभाग का है और बिल भरना भी उसी की जिम्मेदारी है। कमेटी ने एसडीएम को पत्र लिखकर ट्यूबवेल शुरू करवाने की मांग की है।
एक्सपर्ट की राय... गर्मी बढ़ने से तालाब के नीचे गंदगी सड़ने पर अमाेनिया गैस बनी
मत्स्य पालन विभाग के जिला अधिकारी रवि भाटला ने कहा कि तालाब का पानी बहुत दिनों से बदला नहीं गया और न ही साफ पानी डाला गया। अधिक गर्मी की वजह से तालाब के नीचे की गंदगी सड़ गई, जिससे अमोनिया गैस बनी और मछलियां मर गई। इस तालाब में ज्यादातर एक ही तरह की मछलियां थी, जबकि अलग-अलग किस्म की मछलियों को रखा जाना चाहिए।
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