मार्च से पहले 12 से 14 करोड़ की राशि लैप्स न हो जाए, इसके लिए राज्य शिक्षा केंद्र के आयुक्त एस धनराजू ने वीडियो कान्फ्रेसिंग के जरिए कहा था कि जल्द बिल लगवाएं। इसके लिए स्कूलों के खाते की राशि सीधे बीआरसी के खातों में भेज दी गई। इसका सीधा लाभ बीआरसी ने उठाया। उन्होंने अपनी चहेती फर्मों के बिल मंगवाकर कुछ सामग्री बांट दी और ज्यादातर राशि का बंदरबांट कर लिया।
जिले में सात बीआरसी की निगरानी में संचालित 1531 प्राइमरी, 250 मिडिल स्कूलों और 210 एकीकृत शालाओं (कुल 1991 स्कूल) के लिए प्रति बीआरसी 2-2 करोड़ की राशि स्कूलों की रंगाई-पुताई, सुरक्षा के इंतजाम जैसे फर्स्ट एड बॉक्स, अग्निशमन यंत्र सहित अन्य चीजों पर खर्च करनी थी। इसके लिए प्राध्यापकों को ही दुकानों से खरीदी करने के बिल बीआरसी ऑफिस में सबमिट करने थे लेकिन न स्कूलों की रंगाई-पुताई हुई न अधिकांश स्कूलों में खेल किट व अन्य सामग्री खरीदी गई।
दैनिक भास्कर ने दुकानदाराें से बात की ताे कमीशन देने काे राजी हाे गए... पढ़िए बातचीत के संपादित अंश
1. मोबाइल पर नहीं बता सकते, आप तो दुकान पर आ जाइए, सब करवा देंगे
रिपोर्टर- भाई साहब में बानमोर मिडिल स्कूल से बोल रहा था श्याम सिंह
दुकानदार- हां बोलिए
रिपोर्टर- भाई साहब स्कूल में 50 हजार की राशि रंगाई पुताई के लिए आई थी, उसके लिए बिल बनवाने थे, हमारा बिल रह गया था। बीआरसी ऑफिस में कहा कि बिल लगवाओ, अर्जेंट आवश्यकता है बिल बनवाने की।
दुकानदार- आप यहां आकर बात कर लेना। क्या है, कब आया है पैसा।
रिपोर्टर- आप मुझे बता दो कितना प्रतिशत लोगे, कितना दोगे।
दुकानदार- आप आज आ जाओ, नहीं तो हम शाम को उज्जैन निकल जाएंगे फिर 22 तारीख को मुलाकात हो जाएगी।
रिपोर्टर- 15 प्रतिशत तो माथापच्छी करने का मिल जाए।
दुकानदार- हंसते हुए, चलो…ठीक है, आ जाना बात कर लेंगे।
- जैसा कि फोन पर मित्तल इंटरप्राइजेज के संचालक ने बातचीत में कहा।
2. बीआरसी कार्यालय से सामान मिल तो रहा है, वहां से ले लो, वो सब मैनेज कर लेंगे
रिपोर्टर- मैं बानमोर मिडिल स्कूल से बोल रहा हूं। हमें आग बुझाने वाला सिलेंडर, मेडिकल किट लेनी थी। बीआरसी ने हमें बुलाकर कहा कि आप बिल ले आओ
दुकानदार- पेमेंट सबके हो चुके हैं, सामान भी जा चुके हैं, ऐसा कोई स्कूल नहीं जिसका पेमेंट नहीं हुआ हो।
रिपोर्टर- हमारे प्रधान अध्यापक ज्यादा नेतागीरी कर गए, उनके चक्कर में हमारा काम अटक गया।
दुकानदार- आप बीआरसी ऑफिस से खरीद लीजिए, उसमें नेतागीरी की क्या बात है, उनको बिल देना है और सामान लेना है, जो परसेंट होगा वो आपको दे देंगे।
रिपोर्टर- हमने यह काम नहीं किया, बीआरसी ने परसेंट नहीं दिया तो वो मेरी जान खा जाएगा।
दुकानदार- क्यों जान लेगा, जो राशि आती है, वह सबका पेमेंट लेना ही है
रिपोर्टर- हमें बीआरसी ने बुलाया तो हमने कह दिया कि हमें तो पता नहीं है। आप तो हमें बिल के एवज में 15 प्रतिशत दे देना, जिससे मैं प्रधानाध्यापक को दे दूंगा।
दुकानदार- चलो आ आ जाना, मैं देखकर बता दूंगा।
- जैसा कि सोनू स्पोर्ट्स मुरैना के संचालक ने माेबाइल पर बताया।
छात्रसंख्या के मान से राशि का आवंटन
एक से 15 छात्र अगर स्कूल में दर्ज हैं तो 12 हजार 500 रुपए, 16 से 100 छात्र संख्या पर 25 हजार रुपए, 101 से 250 छात्रों के लिए 50 हजार, 251 से एक हजार छात्रों के लिए 75 हजार व एक हजार से अधिक छात्र संख्या वाले स्कूलों के लिए एक लाख की राशि राज्य शिक्षा केंद्र से आवंटित की गई थी।
यह काम होने थे
स्कूल को जारी कुल राशि में से 10% स्वच्छता पर व्यय करनी थी। इसके अलावा खेल किट, फर्स्ट एड बॉक्स व अग्निशमन यंत्र (सुरक्षा), शाला रखरखाव जैसे रंगाई-पुताई, स्टेशनरी, फर्नीचर मेंटेनेंस सहित अन्य जरूरी सामग्री पर खर्च करने थे।
हम जांच कराकर कार्रवाई करेंगे
बीआरसी द्वारा राशि खर्च करने में अनियमितता की गई है तो मामले की जांच कराएंगे। किसी भी गड़बड़ी करने वाले को बख्शा नहीं जाएगा, उनके खिलाफ हम कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेंगे।
-डीके शर्मा, जिला समन्वयक, जिला शिक्षा केंद्र
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