चतुर्थ सिविल न्यायाधीश वरिष्ठ खंड मनीष कुमार पारीक की अदालत ने सुनाया फैसला दहेज प्रताड़ना के मुकदमे में एक महिला का झूठा नाम लिखाए जाने पर चतुर्थ सिविल न्यायाधीश वरिष्ठ खंड मनीष कुमार पारीक की अदालत ने प्रतिवादी नेहा शर्मा पर 1.30 लाख रुपए का अर्थदंड किया है। इस मामले में वादी व प्रतिवादी रिश्ते में देवरानी व जेठानी लगती हैं।
जानकारी के मुताबिक, ग्वालियर के न्यू मोहन नगर की रहने वाली महिला नेहा शर्मा पुत्री स्व.ओमप्रकाश शर्मा ने कोतवाली मुरैना में 13 अगस्त 2014 को दर्ज कराई दहेज प्रताड़ना की एफआईआर में सपना 30 पत्नी गजानन शर्मा निवासी गांधी कॉलोनी मुरैना पर गर्भावस्था के दौरान मारपीट करने का आरोप लगाया।
एफआईआर में नामजद कराए जाने के कारण सपना शर्मा को कोर्ट से अग्रिम जमानत कराना पड़ी। इस मामले में वादी सपना शर्मा ने जिला न्यायालय में प्रतिवादी नेहा शर्मा के खिलाफ लॉ ऑफ कोर्ट के तहत वाद दायर किया। वाद में वादी ने तर्क दिया कि प्रतिवादी नेहा शर्मा की शादी वादी के जेठ से 9 फरवरी 2010 को हुई है।
जबकि वादी सपना शर्मा का विवाह 10 दिसंबर 2013 को हुआ है। प्रतिवादी नेहा शर्मा ने 17 दिसंबर 2012 को पुत्र को जन्म दिया उससे नौ महीने पहले 17 मार्च 2012 को उसने गर्भधारण किया होगा। उस समय तक वादी सपना शर्मा का विवाह प्रतिवादी के देवर गजानन शर्मा से नहीं हुआ था और वादी अपनी हाेने वाली ससुराल की सदस्य भी नहीं थी।
जब 10 दिसंबर 2013 तक वादी सपना शर्मा का विवाह नहीं हुआ और ससुराल नहीं पहुंची तो उस स्थिति में अपनी जेठानी व प्रतिवादी नेहा शर्मा को स्विफ्ट कार की मांग के साथ कैसे प्रताड़ित कर सकती है। प्रतिवादी नेहा शर्मा ने विद्वेषपूर्ण तरीके दहेज प्रताड़ना के मुकदमे में अनुचित लाभ पाने के लिए वादी सपना शर्मा का झूठा नाम लिखाया है। अदालत ने इस वाद में दोनों पक्षों को सुनने के बाद प्रतिवादी नेहा शर्मा पर 1.20 लाख रुपए का अर्थदंड किया है।
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