कमल; यानि कीचड़ के बीच में भी सुगंध, सुंदरता व सत्य का प्रतीक। इसलिए जैन संत आचार्य विराग सागर महाराज के आह्वान पर सिहोनियां में बनाए जा रहे भव्य जैन मंदिर को भी कमल स्वरूप में तैयार किया जा रहा है। अतिशय तीर्थक्षेत्र सिहोनिया में लगभग तीन करोड़ की लागत से बन रहे कमल मंदिर का निर्माण 4 साल से लगातार चल रहा है।
इस निर्माण कार्य को यहां व्यवस्था बनाने वाले सोनू मित्र मंडल ने रुकने नहीं दिया। कोरोनाकाल में भी यह कार्य लगातार चलता रहा। यह मंदिर सोनू मित्र मंडल द्वारा देशभर की समाज के सहयोग से बनवाया जा रहा है। अब तक इस मंदिर का 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। प्रदेश में कमल आकृति का यह पहला जैन मंदिर होगा। इस मंदिर को बनाने की प्रेरणा जैन संत आचार्य विराग सागर से मिली थी। उनके सानिध्य में इस मंदिर का शिलान्यास हुआ था।
मंदिर का निर्माण कार्य अब 10 प्रतिशत शेष रह गया है। काम पूरा होने पर आचार्यश्री के सानिध्य में ही पंचकल्याणक महोत्सव होगा। इस मंदिर में 24 जैन तीर्थंकरों की प्रतिमाएं विराजमान होंगी। यहां पर सत्संग स्थल, संत निवास, सहित वृद्ध आश्रम का निर्माण भी कराया गया है। आशीष जैन सोनू ने बताया कि भारत के लोगों के लिए कमल का फूल पवित्रता और शांति का प्रतीक होने के साथ ही ईश्वर के अवतार का संकेत चिन्ह भी है।
यहां बताना जरूरी है कि जैन धर्म के अतिशय तीर्थ क्षेत्र सिहोनिया में लगभग तीन करोड़ की लागत से कमल मंदिर का निर्माण चार वर्षों से लगातार चल रहा है। यह मंदिर सोनू मित्र मंडल ने देश भर के समाज के सहयोग से बनवाया जा रहा है। इस मंदिर का 90 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है। प्रदेश में कमल आकृति का यह पहला जैन मंदिर है।
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